आमिर खान की सफाई, मेरा और मेरी पत्नी का देश छोड़ने का इरादा नहीं

बुधवार, 25 नवंबर 2015 (16:24 IST)
असहिष्णुता पर अपने बयान को लेकर आलोचनाओं की जद में आए बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान ने बुधवार को कहा कि वह अपने बयान पर कायम हैं और स्पष्ट किया कि न तो उनकी न ही उनकी पत्नी किरण राव की देश छोड़ने की कोई मंशा है।
 
50 वर्षीय आमिर ने बयान जारी कर कहा कि उन्हें ‘भारतीय होने पर गर्व है।’ हाल में असहिष्णुता की बढ़ती घटनाओं पर ‘चिंता और निराशा’ जाहिर करने के लिए अभिनेता की भाजपा और फिल्म जगत के एक धड़े ने कड़ी आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि पहले मैं बताना चाहता हूं कि न तो मैं और न ही मेरी पत्नी किरण का देश छोड़ने का कोई इरादा है। हमने न तो ऐसा किया न ही भविष्य में ऐसा करेंगे। 
 
 
उन्होंने कहा कि जो लोग मेरा विरोध कर रहे हैं उन्होंने या तो मेरा साक्षात्कार देखा नहीं या जान-बूझकर मेरी बातों को तोड़ मरोड़ रहे हैं। भारत मेरा देश है, मैं इसे प्यार करता हूं, मैं यहां जन्म लेकर खुद को भाग्यशाली मानता हूं और मैं यहीं रह रहा हूं। दिल्ली में सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान अभिनेता ने यह कहकर राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था कि वर्तमान माहौल में उनकी पत्नी को अपने बच्चे के लिए भय लगता है।
 
उन्होंने कहा था कि किरण और मैंने अपनी पूरी जिंदगी भारत में गुजारी है। पहली बार उसने कहा कि क्या हमें भारत से बाहर चले जाना चाहिए.. उसे अपने बच्चे के लिए भय है, उसे भय है कि हमारे आसपास माहौल कैसा होगा।’’ कड़ी आलोचनाओं के बीच अपने बयान में आमिर ने कोई पश्चाताप नहीं दिखाया।
उन्होंने कहा कि मैंने अपने साक्षात्कार में जो कहा उस पर कायम हूं। जो लोग मुझे देश विरोधी कह रहे हैं उनसे मैं कहना चाहता हूं कि मुझे भारतीय होने पर गर्व है और इसके लिए मुझे किसी से अनुमति लेने या मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है।’
 
भाजपा ने आमिर पर प्रहार करते हुए कहा था, ‘वह और उनका परिवार भारत के सिवाय कहां जाएगा? भारत से बेहतर कोई देश नहीं है और किसी भारतीय मुसलमान के लिए हिन्दू से बेहतर पड़ोसी नहीं है। मुस्लिम देशों और यूरोप में क्या स्थिति है। हर जगह असहनशीलता है।’  
 
अपने बयान में आमिर ने कहा कि दिल की बात रखने के लिए मुझ पर चिल्लाने वाले सभी लोग केवल मेरी बात की पुष्टि कर रहे हैं।’’ उन्होंने समर्थन करने वाले लोगों को धन्यवाद भी दिया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने मेरा समर्थन किया उनको धन्यवाद। हमें अपने देश की सुंदरता और विविधता को बचाना है। हमें इसकी एकता, विविधता, समग्रता, इसकी कई भाषाओं, इसकी संस्कृति, इसके इतिहास, सहनशीलता, एकांतवाद की इसकी अवधारणा, इसके प्यार, संवेदनशीलता और इसकी भावनात्मक मजबूती की रक्षा करनी होगी। अतं में, मैं रवींद्रनाथ टैगोर की एक कविता दोहराना चाहूंगा। यह कविता नहीं बल्कि एक प्रार्थना है- 
 
जहां उड़ता फिरे मन बेवकूफ 
और सर हो शान से उठा हुआ 
जहां ज्ञान हो सबके लिए 
बेरोकटोक बिना शर्त रखा हुआ 
जहां घर की चौखट सी छोटी सरहदों में 
ना बंटा हो जहान 
जहां सच की गहराइयों से निकलर हर बयान 
जहां बाजुएं बिना थके 
लकीरें कुछ मुक्म्मल तराशें 
जहां सही सोच को धुंधला न पाए 
उदास मुर्दा रवायतें 
जहां दिलोदिमाग तलाशें 
नए खयाल और उन्हें अंजाम दे 
ऐसे आजादी के स्वर्ग में
ऐ भगवान, मेरे वतन की हो नई सुबह

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