नजरिया: सोनिया गांधी पीछे हटीं तो राहुल ही अध्यक्ष पद के आखिरी विकल्प : रशीद किदवई

विकास सिंह

सोमवार, 24 अगस्त 2020 (09:41 IST)
देश में 135 साल पुरानी पार्टी कांग्रेस पूर्णकालिक अध्यक्ष को लेकर कई धड़ों में बंट गई है। पार्टी के अंदर एक धड़ा सोनिया गांधी के अध्यक्ष पद पर बने रहने के समर्थन में है तो दूसरा धड़ा राहुल गांधी को फिर से बागडोर देने की मांग कर रहा है वहीं तीसरा धड़ा किसी तीसरे व्यक्ति को अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहा है। 
 
नए अध्यक्ष को लेकर इतने धड़ों में बंटी कांग्रेस की आज वार्किंग कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक होने जा रहा है, कांग्रेस में नीतिगत निर्णय लेने वाली इस सर्वोच्च कमेटी की बैठक का मुख्य एजेंडा पार्टी के नए अध्यक्ष पर मंथन करना है। 
 
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक से ठीक पहले कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर 24 बड़े नेताओं की चिट्ठी ने सियासी भूचाल ला दिया है। इन नेताओं ने अपनी चिट्ठी में सामूहिक नेतृत्व की बात कही गई है। इस चिट्ठी के मीडिया में सामने आने के साथ ही पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के इस्तीफें की खबरें उठी लेकिन पार्टी ने इन खबरों का खंडन भी कर दिया। ऐसे में आज कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक पर सबकी निगाहें लग गई है। 

कांग्रेस में अध्यक्ष को लेकर अंदरखाने मची सियासत के बाद कांग्रेस शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कैप्टन अमरिंदर सिंह और भूपेश बघेल सोनिया या राहुल के नेतृत्व में खुलकर सामने आ गए है वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर गांधी परिवार के बिना कांग्रेस की कल्पना नहीं करने की बात कह डाली है।    
 
दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा कि यह समय कांग्रेस में एक मत होने का है, मत भिन्नता का नहीं। जिस परिवार ने देश की आजादी और उसके बाद जो देश के लिए जो त्याग और बलिदान किया है वह सर्वविदित है। मीडिया मे जो कुछ आ रहा है में उससे से सहमत नहीं हूं। नेहरू गांधी परिवार के बिना कांग्रेस की मैं कल्पना नहीं कर सकता। अपने दूसरे ट्वीट में दिग्विजय सिंह लिखते हैं कि सोनिया जी का नेतृत्व सर्वमान्य है। यदि सोनिया जी कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ना ही चाहती हैं तो राहुल जी अपनी जिद छोड़ कर अध्यक्ष पद स्वीकार कर लेना चाहिए। देश का आम कांरेस कार्यकर्ता और किसी को स्वीकार नहीं करेगा। 
कांग्रेस मुख्यालय की सियासत पर चर्चित किताब 24, Akbar Road लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं कि कांग्रेस में अध्यक्ष की लड़ाई अब इमोशेनल स्तर पर पहुंच गई है और इसकी झलक आज वार्किंग कमेटी की बैठक में भी देखने को मिलेगी। वह कहते हैं कि नेतृत्व परिवर्तन को लेकर लिखी गई चिट्ठी के बाद अब सारे मुद्दे पीछे होकर बात इस पर आकर ठहर गई है कि चिट्ठी लिखने वाले लोगों ने नेहरू-गांधी परिवार का अपमान किया है और आज की मीटिंग इसी वातारण में होगी और बैठक में नेताओं के बीच होड़ सी लगी होगी कि कौन नेहरू गांधी परिवार के प्रति ज्यादा वफादारी दिखता है। 
 
गांधी परिवार से बाहर निकलेगी कांग्रेस ?-कांग्रेस की सियासत को बेहर करीब से देखने वाले राजनैतिक विश्लेषक रशीद किदवई कहते हैं कि कांग्रेस का सौ फीसदी कार्यकर्ता चाहता हैं कि या तो सोनिया गांधी अध्यक्ष पद पर बनीं रहे या राहुल गांधी की फिर से अध्यक्ष पद पर ताजपोशी हो जाए। वह साफ कहते हैं कि अगर गांधी परिवार के बाहर कोई तीसरा अध्यक्ष होता है तो उसमें बहुत सी व्यावहारिक समस्या होगी जैसे कोई भी निर्णय लेने पर अगर वह सोनिया और राहुल से चर्चा करता है तो कहा जाएगा कि यह उसका निर्णय कहा है। कांग्रेस में ऐसी राजनीतिक सभ्यता नहीं हैं कि वह एक सुबह सोकर उठे और गांधी परिवार से अलग हो जाए, ऐसा मुमकिन नहीं है। 

राहुल के साथ प्रियंका - रशीद किदवई कहते हैं कि आज वर्किंग कमेटी में नजरें प्रियंका गांधी के भाषण पर लगी होगी कि वह क्या कहती हैं यह काफी मायने रखता। कांग्रेस के अंदर की राजनीति को तुलना शतंरज के खेल से करते हुए रशीद किदवई कहते हैं कि जैसे शंतरज के खेल में जिसके पास वजीर और हाथी और ऊंट होता है उसका कोई बिगाड़ नहीं सकता है, ऐसी ही वर्तमान में कांग्रेस में है जहां सोनिया गांधी के प्रति पार्टी में आदर और सम्मान है और प्रियंका गांधी में वह भविष्य में सफलता की कुंजी मानते है तो सोनिया गांधी के पीछे हटने पर राहुल ही आखिरी विकल्प होंगे। 

चिट्ठी के बाद सोनिया दुखी - कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की आत्मकथा Sonia: A Biography लिखने वाले रशीद किदवई कहते हैं कि इस चिट्ठी के बाद सोनिया गांधी भी दुखी होगी। जिन नेताओं ने चिट्ठी लिखी हैं कि उसमें अधिकांश नेता ऐसे हैं जिनको गांधी परिवार ने पद और सम्मान दिया है जैसे गुलाम नबी आजाद को जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री,राजबब्बर को उतर प्रदेश जैसे बड़े राज्य का कांग्रेस अध्यक्ष, पृथ्वीराज चव्हाण को अशोक चव्हाण की जगह महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाना, इन सभी नेताओं ने पहले सत्ता का सुख भोगा और आज चिट्ठी लिख रहे है।
 
 
 
 

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