डोभाल ने डोकलाम पर इस तरह झुकाया चीन को...

बुधवार, 30 अगस्त 2017 (15:24 IST)
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से पाकिस्तान खौफ खाता है लेकिन चीन भी खाने लगा है इसका खुलासा तब हुआ जब अजित डोभाल चीन की यात्रा पर गए थे। उनके जाने से पहले चीन का सरकारी भोंपू चिल्ला रहा था कि अजित के आने से कुछ नहीं बदलेगा। लेकिन अब कहा जा रहा है कि डोकलाम मामले को सुलझाने में सबसे अहम रोल रहा है डोभाल का।
 
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, अजित डोभाल 27 जुलाई को जब बीजिंग में चीन के स्टेट काउंसलर यांग जिएची से इस मुद्दे पर बात की थी। खबर की मानें, तो दोनों के बीच काफी सख्त लहजे में बातचीत हुई थी। यांग ने डोकलाम पर डोभाल से सीधा सवाल किया था कि क्या ये आपकी जगह है?
 
इसका जवाब भी डोभाल ने अपने अंदाज में दिया कि क्या हर विवादित क्षेत्र चीन का हो जाता है? डोभाल ने सख्त लहजे में सीधे तौर पर कहा कि यह इलाका भूटान का है और हिमालयी सुरक्षा नीति के कारण भारत भूटान की सैन्य मदद कर रहा है। चीन ने इस दौरान उसकी और भूटान की बातचीत का हवाला दिया, लेकिन डोभाल ने कहा कि जब तक विवाद खत्म नहीं होता है तो दोनों सेनाओं को विवादित जगह से पीछे हटना चाहिए।
 
पीएम को सेना ने दिलाया था भरोसा:
सूत्रों की माने तो भारत की इस कूटनीतिक जीत में भारतीय सेना का बड़ा हाथ है। सेना ने नरेंद्र मोदी सरकार को भरोसा दिया था कि वह चीन को माकूल जवाब देने के लिए तैयार हैं। समुद्र तट से 10,000 फीट ऊंचे इस इलाके में भारतीय सशस्त्र बल बेहद सतर्क है और यहां कोई भी ढील देने के मूड में नहीं है।
 
सूत्रों का यह भी कहना है कि सेना प्रमुख बिपिन रावत ने सरकार को आश्वस्त किसा था वह चीन को मुंहतोड़ जवाब देने लिए सक्षम हैं। उन्होंने सरकार को भरोसा दिया था कि डोकलाम में भारतीय सेना चीन को भारी नुकसान पहुंचाने की स्थिति में है। सेना की यही तैयारी भारत को चीन पर कूटनीतिक जीत दिलाने में काफी मददगार साबित हुई।
 
डोकलाम क्यों है अहम?: 
डोकलाम भारत चीन और भूटान बार्डर के तिराहे पर स्थित है। भारत के नाथुला पास से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी है। चुंबी घाटी में स्थित डोकलाम सामरिक दृष्टि से भारत और चीन के लिए काफी अहम है। साल 1988 और 1998 में चीन और भूटान के बीच समझौता हुआ था कि दोनों देश डोकलाम क्षेत्र में शांति बनाए रखने की दिशा में काम करेंगे।
 
गौरतलब है कि चीन से डोकलाम विवाद खत्म होने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चीन दौरा तय हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 से 5 सितंबर तक चलने वाले शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए शियामेन जाएंगे।

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