हजारे ने आरोप लगाया कि कानून का मसौदा तैयार करने के लिए गठित की गई समिति की आगे की बैठकें करने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार एवं अन्य को बार-बार याद दिलाए जाने के बाद भी कोई जवाब नहीं आया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार जान-बूझकर बैठकें करने से आनाकानी कर रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य में ढेर सारा भ्रष्टाचार है और राज्य सरकार को उस पर रोक लगाने के लिए कदम उठाना चाहिए। फिलहाल लोकायुक्त मुख्यमंत्री द्वारा चुना जाता है। चूंकि लोकायुक्त के पास स्वायत्तता नहीं होती है, तो वह शक्तिशाली भी नहीं होता है। ऐसी स्थिति में आम आदमी इंसाफ के लिए कहां जाएगा।