दूसरी ओर, ओवैसी इस फैसले के लिए कांग्रेस को भी जमकर कोसा। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में कांग्रेस ने अपना असली रंग दिखाया। यदि कांग्रेस सही तरीके से काम करती तो अयोध्या के विवादित स्थान पर आज भी मस्जिद होती। दरअसल, उन्होंने इस मामले से जुड़ी तीन घटनाओं का जिक्र किया है और तीनों ही मौकों पर केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी।
सांसद ओवैसी ने कहा कि 1949 में यदि मूर्तियां नहीं रखी जातीं तो वहां मस्जिद ही होती। जिस समय यह सबकुछ हुआ उस समय केन्द्र और राज्य में कांग्रेस की ही सरकार थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस धोखेबाज और पाखंडियों की पार्टी है। दरअसल, असली विवाद की शुरुआत ही तब हुई थी, जब 23 दिसंबर, 1949 को भगवान राम और लक्ष्मण की मूर्ति विवादित स्थल पर पाई गई थीं।
उन्होंने कहा कि 1986 में जिस समय अयोध्या में ताले खोले गए थे, तब केन्द्र में राजीव गांधी की ही सरकार थी। साथ ही 1992 में जब अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराया गया था तब भी केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी और प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव थे।