अटलजी का कहना था कि कम्युनिज्म को मैंने एक विचारधारा के रूप में पढ़ा। मैं कभी कम्युनिस्ट पार्टी का सदस्य नहीं रहा लेकिन छात्र आंदोलन में मेरी हमेशा रुचि थी और कम्युनिस्ट एक ऐसी पार्टी थी जो छात्रों को संगठित करके आगे बढ़ती थी। मैं उनके संपर्क में आया और कॉलेज की छात्र राजनीति में भाग लिया। वे कहते थे एकसाथ 'सत्यार्थ प्रकाश' और कार्ल मार्क्स पढ़ा जा सकता है, दोनों में कोई अंतर्विरोध नहीं है।