Banking Laws (Amendment) Bill : सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में बैंककारी विधियां (संशोधन) विधेयक, 2024 (Banking Laws (Amendment) Bill 2024) पेश किया जिसके तहत हर बैंक खाताधारक द्वारा मनोनीत 'नॉमिनी' व्यक्तियों की संख्या 1 से बढ़ाकर 4 करने का प्रावधान किया गया है। लोकसभा में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने उक्त विधेयक पेश किया। इससे पहले विपक्ष के कुछ सदस्यों ने सदन में यह विधेयक पेश किए जाने का विरोध किया।
कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि सहकारी समितियों और सहकारी बैंकों से जुड़े कानूनों में संशोधन का अधिकार राज्यों को है। उन्होंने इस संबंध में विधायी अधिकारों को लेकर अस्पष्टता की भी बात कही। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों पर केंद्र नियंत्रण कर सकता है या नहीं, इस पर विरोधाभास है।
आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि सरकार एक साथ 4 कानूनों में संशोधन का प्रयास कर रही है और यह सदन की परंपराओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि आपस में जुड़े विषयों से संबंधित कानूनों को लेकर ही विधेयक लाया जाता है। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने भी 4 कानूनों को एक विधेयक के माध्यम से संशोधित करने पर आपत्ति जताई।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्षी सदस्यों की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि बहु सहकारी बैंक से जुड़े कानून में पहले भी इस सदन के माध्यम से संशोधन किया जा चुका है और इससे छोटे खाताधारकों को राहत मिली है। उन्होंने कहा कि हम 4 विधेयक भी ला सकते थे लेकिन जब एक समान तरह के कामकाज से जुड़े कानून हैं तो हम एक संशोधन विधेयक ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम और सहकारी बैंकों के बीच एक संबंध है और कोई भी संशोधन इसी रास्ते से लाना होगा।
सीतारमण ने कहा कि सहकारी संस्थाओं, खासकर उन संस्थाओं को, जो बैंकों के अतिरिक्त अन्य सारे काम करती हैं, उन्हें कमजोर करने का कोई प्रयास नहीं है। बैंक और बैंकिंग गतिविधियों के लिए लाइसेंस रखने वाली सहकारी समितियों के लिए एक नियम होना चाहिए और इसीलिए हमने यह कदम उठाया है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पेश किए जाने की मंजूरी दी। विधेयक में वैधानिक लेखा परीक्षकों को भुगतान किया जाने वाला पारिश्रमिक तय करने में बैंकों को अधिक स्वतंत्रता देने का प्रावधान है।
इस विधेयक को पिछले शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी जिसके तहत भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934, बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम 1955, बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1970 और बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1980 में संशोधन का प्रस्ताव है।
इसकी घोषणा वित्तमंत्री ने अपने 2023-24 के बजट भाषण में की थी। उन्होंने कहा था कि बैंक प्रशासन में सुधार और निवेशकों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए बैंकिंग विनियमन अधिनियम, बैंकिंग कंपनी अधिनियम और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में कुछ संशोधनों का प्रस्ताव है।(भाषा)(फ़ाइल चित्र)