जानिए, छत्तीसगढ़ में अब तक हुए बड़े नक्सली हमलों के बारे में

सोमवार, 24 अप्रैल 2017 (22:02 IST)
रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में नक्सलियों ने सोमवार को बड़ी वारदात को अंजाम दिया है। पिछले दो महीनों में यह दूसरी बड़ी वारदात है। ताजा समाचार मिलने तक इस नक्सली हमले में 26 जवान शहीद हुए हैं। 
 
छत्तीसगढ़ के सुकमा, नारायणपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कांकेर की गिनती घोर नक्सल प्रभावित जिलों में होती है और यह पहली बार नहीं है जब छत्तीसगढ़ में माओवादी हमले में इतना नुकसान हुआ हो। नक्सलवादियों ने अपने नापाक इरादों से कई मर्तबा छत्तीसगढ़ की जमीन को खून से लाल करने का घिनौना काम किया है। आइए नजर डालते हैं छत्तीसगढ़ में हुए बड़े नक्सली हमलों पर -

तारीख कितने जवान हुए शहीद
11 मार्च 2017  सुकमा जिले में अवरुद्ध सड़कों को खाली करने के काम में जुटे सीआरपीएफ के जवानों पर घात लगाकर हमला कर दिया। इस हमले में 11 जवान शहीद हो गए और 3 से ज्यादा घायल हो गए।
6 अप्रैल 2010
ताड़मेटला कांड
 दंतेवाड़ा जिले के ताड़मेटला में यह हमला पैरामिलिट्री फोर्स पर हुआ यह हमला देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला था। इसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे। सीआरपीएफ के करीब 120 जवान सर्चिंग अभियान के लिए निकले थे। सर्चिंग से वापस लौटने के दौरान 1000 नक्सलियों ने एंबुश लगाकर जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी थी। इसमें आठ नक्सलियों की भी मौत हो गई थी। नक्सलियों ने जवानों के हथियार, जूते भी लूट लिए।                                                                 
25 मई 2013
झीरम घाटी हमला 
नक्सलियों ने परिवर्तन यात्रा पर निकली कांग्रेस पार्टी पर हमला कर दिया। नक्सलियों ने सबसे पहले सड़क पर ब्लास्ट किया था। नक्सलियों ने काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी। इस हमले में बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, तत्कालीन पीसीसी चीफ नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 30 से ज्यादा कांग्रेसी मारे गए थे। नक्सलियों के मुख्य निशाना महेंद्र कर्मा थे। कर्मा नक्सलियों के सफाए के लिए शुरू हुए सलवा जुडुम अभियान के नेता थे। कर्मा नक्सलियों की हिट लिस्ट में थे।
11 मार्च 2014  झीरम 2  झीरम घाटी हमले के करीब एक साल बाद नक्सलियों ने उससे कुछ ही दूरी पर एक और हमला किया। इसमें 15 जवान शहीद हुए थे और एक ग्रामीण की भी इसमें मौत हो गई थी।हमले के बाद नक्सलियों एक शहीद जवान के शव में आईईडी फिट करके छोड़ दिया था, ताकि जवान जब शव उठाने आएं तो ब्लास्ट हो जाए और जवानों को बड़ा नुकसान हो। हालांकि शव को उठाने से पहले बम डीएक्टिवेट कर दिया गया था और उसके बाद जवान को वहां से निकाला गया था।
12 अप्रैल 2014  लोकसभा चुनाव के दौरान बीजापुर और दरभा घाटी में आईईडी ब्लास्ट में पांच जवानों समेत 14 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में सात मतदान कर्मी भी थे। यह पहली बार था जब नक्सलियों ने एक एंबुलेंस को अपना निशाना बनाया था। इस एंबुलेंस में सीआरपीएफ के पांच जवानों समेत एंबुलेंस चालक और कंपाउंडर की भी मौत हो गई थी।
दिसंबर 2014 सुकमा जिले के चिंतागुफा इलाके में एंटी-नक्सल ऑपरेशन चला रहे सीआरपीएफ के जवानों पर नक्सलियों ने हमला कर दिया दिया था। नक्सलियों ने यह हमला उस वक्त किया था जब सीआरपीएफ के जवान अपने साथी जवानों के शव ढूंढ रहे थे। घात लगाकर किए गए इस हमले में 14 जवान शहीद और 12 घायल हुए थे।
सितम्बर 2005 गंगालूर रोड पर एंटी-लैंडमाइन वाहन के ब्लास्ट। इसमें 23 जवान शहीद हुए थे।
 जुलाई 2007  एर्राबोर अंतर्गत उरपलमेटा एम्बुश में 23 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे।
अगस्त 2007 तारमेटला में मुठभेड़ में थानेदार सहित 12 जवान शहीद हुए। 
12 जुलाई 2009  राजनांदगांव में एम्बुश में पुलिस अधीक्षक वीके चौबे सहित 29 जवान शहीद हुए। नारायणपुर के घौडाई क्षेत्र अंतर्गत कोशलनार में 27 सुरक्षाकर्मी एम्बुश में मारे गए थे।
 

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