कई साल पहले भी जम्मूवासियों का समर्थन पाने की खातिर भाजपा ऐसा खेल खेल चुकी है। तब अलग जम्मू की मुहिम को छेड़कर उसने वर्ष 2014 के विधानासभा चुनावों में 25 सीटें प्राप्त कर ली थीं, पर उसके बाद वह जम्मू के लोगों से किए गए वायदे को भूल गई थी।
अब जबकि कश्मीरी नेता और राजनीतिक दल गुपकार घोषणा के तले एकजुट होने लगे हैं और जमू संभाग में भी उसके समर्थन में स्वर उठने लगे हैं, भाजपा की परेशानी बढ़ गई है। यह परेशानी इसलिए भी है क्योंकि धारा 370 को हटाए जाने से पहले और चुनावों में भाजपा ने जम्मू की जनता से कई वायदे किए, पर 5 अगस्त 2019 की कवायद के बाद जम्मू संभाग की जनता को यह लगने लगा है कि भाजपा का ध्यान सिर्फ और सिर्फ कश्मीर की ओर है और उसने ऐसे कई फैसले भी लिए जिससे जम्मू की जनता नाराज है।
पिछले दो दिनों से ‘अलग जम्मू राज्य’ की मांग को लेकर राजनीतिक हलचल भी बढ़ी है। पैंथर्स पार्टी के साथ-साथ कई सामाजिक दलों ने एकजुट होकर इस मांग के प्रति मुहिम छेड़ी है। जो सामाजिक व धार्मिक दल इस मांग के समर्थन में उठ खड़े हुए हैं उनके प्रति चौंकाने वाली बात यह है कि उनमें से अधिकतर भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं द्वारा संचालित हैं।