सियाम ने सबसे पहले कहा है कि उच्चतम न्यायालय ने गलती से सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एक ऑफिस मेमोरेंडम की तारीख 3 मार्च 2017 की जगह 3 मार्च 2015 समझ लिया और कहा कि सरकार ने दो साल पहले ही विनिर्माताओं को स्पष्ट संदेश दिया था कि वे 1 अप्रैल 2017 से पहले ही बीएस-3 वाहनों का उत्पादन बंद कर दें।
संगठन का कहना है कि अदालत ने अपने फैसले में इस अनुमान को भी आधार बनाया है कि बीएस-3 मानक छोड़कर बीएस-4 मानक अपनाने से पीएम उत्सर्जन में 80 प्रतिशत की कमी आएगी। उसने कहा कि यह भारी वाहनों के लिए सही हो सकता है, लेकिन अन्य वाहनों के मामले में उत्सर्जन में काफी कम कटौती होगी। (वार्ता)