बीएस-3 वाहन पंजीकरण मामले में पुनर्विचार याचिका

गुरुवार, 27 अप्रैल 2017 (23:21 IST)
नई दिल्ली। वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम ने गत एक अप्रैल से देशभर में भारत स्टेज (बीएस)-3 मानक वाले वाहनों के पंजीकरण पर लगाई गई रोक वाले उच्चतम न्यायालय के आदेश पर पुनर्विचार याचिका दायर की है। 
             
सियाम ने गुरुवार को एक बयान जारी कर बताया कि पुनर्विचार याचिका में कुछ तथ्यों की ओर शीर्ष अदालत का ध्यान आकृष्ट कराया गया है जो फैसले में शामिल नहीं हो सके थे और जो मामले की जड़ों से जुड़े हैं तथा अदालत के इस तरह के आदेश में जिनका योगदान रहा है।
         
सियाम ने सबसे पहले कहा है कि उच्चतम न्यायालय ने गलती से सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एक ऑफिस मेमोरेंडम की तारीख 3 मार्च 2017 की जगह 3 मार्च 2015 समझ लिया और कहा कि सरकार ने दो साल पहले ही विनिर्माताओं को स्पष्ट संदेश दिया था कि वे 1 अप्रैल 2017 से पहले ही बीएस-3 वाहनों का उत्पादन बंद कर दें। 
 
उसका कहना है कि उल्टे सरकार ने विनिर्माताओं को फैसले से तीन सप्ताह पहले ही आश्वासन दिया था कि पाइपलाइन में मौजूद बीएस-3 वाहनों के स्टॉक की बिक्री की अनुमति दी जाएगी और उनका पंजीकरण 1 अप्रैल 2017 के बाद भी हो सकेगा जैसा कि बीएस-2 छोड़कर बीएस-3 अपनाते समय किया गया था।
         
उल्लेखनीय है कि 1 अप्रैल 2017 को भी कंपनियों और डीलरों के पास बीएस-3 मानक वाले एक लाख 20 हजार वाहनों का स्टॉक था, जिसकी कीमत तकरीबन पांच हजार करोड़ रुपए है। इसमें अधिकतर भारी वाहन हैं। 
 
सियाम ने याचिका में कहा है कि बीएस-4 मानक लागू करने में हुई देरी ऑटो उद्योग की मदद के लिए नहीं की गई जैसा कि आदेश में कहा गया है। ऐसा देशभर में बीएस-4 मानक वाले ईंधन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए किया गया।
 
संगठन का कहना है कि अदालत ने अपने फैसले में इस अनुमान को भी आधार बनाया है कि बीएस-3 मानक छोड़कर बीएस-4 मानक अपनाने से पीएम उत्सर्जन में 80 प्रतिशत की कमी आएगी। उसने कहा कि यह भारी वाहनों के लिए सही हो सकता है, लेकिन अन्य वाहनों के मामले में उत्सर्जन में काफी कम कटौती होगी। (वार्ता)

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