मायावती का बड़ा फैसला, भतीजे आकाश आनंद को घोषित किया उत्तराधिकारी

रविवार, 10 दिसंबर 2023 (12:47 IST)
बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रमुख मायावती ने अपना उत्ताधिकारी घोषित कर दिया है। उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्ताधिकारी बनाया है। बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती ने आज लखनऊ में आयोजित पार्टी बैठक के दौरान बड़ा फैसला लिया। मीडिया खबरों के मुताबिक आकाश आनंद लंदन से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) कर चुके हैं।

मायावती द्वारा लोकसभा चुनाव की तैयारी के सिलसिले में बुलाई गई पार्टी पदाधिकारी की बैठक में शामिल होने आए बसपा की शाहजहांपुर इकाई के जिला अध्यक्ष उदयवीर सिंह ने प्रेस कॉन्फेंस में कहा कि बसपा अध्यक्ष ने बैठक में अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है।
 
उन्होंने बताया कि यहां बसपा कार्यालय में हुई देश भर के पार्टी नेताओं की बैठक में मायावती ने यह घोषणा की।मायावती द्वारा किए गए ऐलान के बारे में खासतौर से पूछे जाने पर सिंह ने कहा, ‘‘उन्होंने (मायावती) कहा कि वह (आकाश) उनके बाद उनके उत्तराधिकारी होंगे।’’
 
सिंह ने कहा कि ‘उन्हें (आकाश) उत्तरप्रदेश को छोड़कर पूरे देश में पार्टी संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई है।’’ हालांकि, पार्टी के आधिकारिक बयान में ऐसे किसी घोषणा का उल्लेख नहीं किया गया है। 

क्या गठबंधन करेंगी बसपा : मायावती ने बैठक में इस बड़ी घोषणा से हर किसी को हैरान कर दिया है। माना जा रहा था कि बसपा मायावती की अगुआई में लोकसभा चुनाव लड़ेगी। मायावती ने पहले ही बसपा के अकेले दम पर देश के आम चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया था।

अब आकाश आनंद को उत्तराधिकारी घोषित किए जाने के बाद बसपा की ओर से गठबंधन पर भी कुछ फैसला हो सकता है। रविवार को पार्टी के प्रदेश अधिकारियों की बैठक के बाद मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान आकाश को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
 
पार्टी की लगातार विफलता : उत्तरप्रदेश में पार्टी को विधानसभा चुनाव 2022 में बड़ी सफलता नहीं मिली। हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में शून्य पर सिमटने वाली बसपा ने 2019 में सपा के साथ गठबंधन कर 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। पार्टी 2019 से अधिक सफलता के लिए आकाश आनंद पर दांव लगाती दिख रही है।

दानिश अली को किया था निलंबित : बसपा ने शनिवार को ही सांसद दानिश अली को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से निलंबित किया था। माना जा रहा है कि कांग्रेस से बढ़ती नजदीकियों के कारण बसपा ने यह कदम उठाया।

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