दलाई लामा ने चीन की जनमुक्ति सेना के दमन के मद्देनजर अपना देश छोड़कर भागने के बाद 1959 में भारत में शरण ली थी। उन्होंने कहा, 3 साल पहले हुए सर्वेक्षण में पता चला कि चीन में तिब्बती बौद्धों की संख्या में बड़ी वृद्धि हुई है। हमारे पास सच की ताकत है, जबकि चीन में कम्युनिस्ट शासन के पास बंदूक की ताकत है।