संसद में पेश 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में पंजीकृत निवेशक आधार मार्च, 2020 से मार्च, 2024 तक लगभग तीन गुना होकर 9.2 करोड़ हो गया है। इसका अर्थ यह है कि अब 20 प्रतिशत भारतीय परिवार अपनी घरेलू बचत को वित्तीय बाजार में लगा रहे हैं।
नागेश्वरन ने कहा, परिवार संकट में नहीं हैं और वे वित्तीय संपत्तियों में निवेश कर रहे हैं और इन संपत्तियों का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। साथ ही, भौतिक संपत्तियों में बचत में सुधार हुआ है। यह वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़कर 12.9 प्रतिशत हो गई है, जो 2020-21 में 10.8 प्रतिशत थी।
उन्होंने कहा, देखा जाए तो पिछले चार साल में एसआईपी और म्यूचुअल फंड के माध्यम से शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ी है। राष्ट्रीय आय के आंकड़ों में इसे बाजार कीमतों पर दर्ज नहीं किया जाता है। यही कारण है कि ऐसा महसूस होता है कि परिवारों की वित्तीय संपत्तियों की तुलना में वित्तीय देनदारियां तेजी से बढ़ी हैं। नागेश्वरन ने कहा कि छोटे कर्जों के चूक के आंकड़े भी घरेलू क्षेत्र में संकट के संकेत को नहीं देते हैं।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के मई में जारी राष्ट्रीय आय 2024 के आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में शुद्ध घरेलू बचत तेजी से घटकर 14.16 लाख करोड़ रुपए हो गई, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 17.12 लाख करोड़ रुपए और 2020-21 में 23.29 लाख करोड़ रुपए थी। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour