आवास एवं शहरी विकास सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने बताया कि पूर्वोत्तर के 6 राज्यों में भू-स्वामित्व एवं कुछ अन्य तकनीकी मुद्दों पर जारी गतिरोध के कारण प्राधिकरण का गठन नहीं हो पा रहा है। इससे रेरा के तहत आवासीय योजनाओं में विनियमन संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए मंत्रालय द्वारा गठित विशेष दल 26 अक्टूबर को इन राज्यों के लिए रवाना होगा। उल्लेखनीय है कि रेरा कानून के तहत जम्मू-कश्मीर को छोड़कर सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्राधिकरण का गठन किया जाना अनिवार्य है।
उन्होंने बताया कि अब तक 27 राज्यों में रेरा के तहत प्राधिकरण के गठन की अधिसूचना जारी कर दी गई है। पश्चिम बंगाल सरकार ने रेरा की जगह आवासीय उद्योग विनियमन कानून (हीरा) लागू किया है। इसके अलावा पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, मेघालय और सिक्किम में भूमि एवं स्वामित्व संबंधी विवादित मुद्दों के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका है।
मिश्र ने बताया कि जिन 27 राज्यों में प्राधिकरण का गठन हुआ है, उनमें से 13 राज्यों में नियमित और 14 राज्यों में अंतरिम प्राधिकरण का गठन हुआ है। केरल सरकार ने शीघ्र ही प्राधिकरण का गठन करने के प्रति केंद्र सरकार को आश्वस्त किया है।
उन्होंने बताया कि रेरा कानून के प्रावधानों का पालन करते हुए 20 राज्यों में प्राधिकरण के फैसलों से पक्षकारों के असंतुष्ट होने पर अपील के लिए ट्रिब्यूनल भी गठित कर दिए गए हैं जबकि 22 राज्यों में रेरा प्राधिकरण के तहत आवासीय परियोजनाओं के ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा भी शुरू कर दी गई है। मिश्र ने बताया कि अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक रेरा के तहत देशभर में 32,923 आवासीय परियोजनाओं और 25,247 रियल इस्टेट एजेंट का पंजीकरण कराया जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि आवासीय परियोजनाओं में निजी क्षेत्र की मनमानी को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्यों पर रेरा को लागू करने का लगातार दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकारों को आवास खरीददारों के हित में इस कानून के लाभों से अवगत कराने के लिए केंद्र सरकार की ओर से विभिन्न राज्यों में कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जा रहा है। इस कड़ी में पूना और चेन्नई में 2 कार्यशालाएं हो चुकी हैं। जल्द ही पूर्वोत्तर राज्यों में भी कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। (भाषा)