चुनाव में ‘महायुती’ के तहत मैदान में उतरी भाजपा-शिवसेना को 161 सीटें मिली थीं, जिसके आधार पर वे आसानी से सरकार बना सकते थे। लेकिन ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पद की मांग पर शिवसेना अड़ गई और बात नहीं बनने पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का साथ छोड़ दिया।