Chandrayaan-2 : सांसें थमाने वाले रहे वो 15 मिनट, पढ़िए पूरी कहानी

शनिवार, 7 सितम्बर 2019 (11:19 IST)
भारत अंतरिक्ष में एक बड़ी सफलता से सिर्फ 2 कदमों की दूरी पर रह गया, जब लैंडर विक्रम शुक्रवार देर रात चांद (Moon) की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर आकर वह अपना रास्ता भटक गया और उससे ISRO का संपर्क टूट गया। भारत के करोड़ों देशवासियों की सांसें 15 मिनट के दौरान रुक गई थीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद इस ऐतिहासिक पल को देखने के लिए ISRO के मुख्यालय में मौजूद थे।
 
Chandrayaan-2 मिशन नाकाम नहीं हुआ है। ऑर्बिटर अभी भी चन्द्रमा के चक्कर लगा रहा है और ऑर्बिटर में लगे 8 पैलोड अभी काम कर रहे हैं। लैंडर विक्रम (Lander vikram) के चांद की सतह पर पहुंचने से पहले के 15 मिनट काफी महत्वपूर्ण थे। लैंडर विक्रम को शुक्रवार देर रात लगभग 1 बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर लाने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन चांद की सतह पर पहुंचने से करीब 2.1 किलोमीटर पहले ही उसका इसरो (ISRO) से संपर्क टूट गया।
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लैंडर विक्रम के चांद की सतह पर पहुंचने में केवल 2 किलोमीटर की दूरी रह गई थी। रात करीब 1 बजकर 38 मिनट पर लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर लाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। करीब 1.44 मिनट पर लैंडर विक्रम ने 'रफ ब्रेकिंग के चरण को पार कर लिया था।
इसके बाद वैज्ञानिकों ने इसकी रफ्तार धीमी करनी शुरू की। 1.49 पर विक्रम लैंडर ने सफलतापूर्वक अपनी गति कम कर ली थी और वह चांद की सतह के बेहद करीब पहुंच चुका है। रात करीब 1.52 मिनट पर चांद पर उतरने के अंतिम चरण में चंद्रयान-2 पहुंच चुका था, लेकिन उसके बाद चन्द्रयान-2 (Chandrayaan-2) का संपर्क धरती पर मौजूद स्टेशन से टूट गया।
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चंद्रयान-2 के लैंडर 'विक्रम' का संपर्क टूट जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया। वे इस मिशन का सीधा नजारा देखने के लिए इसरो केंद्र पहुंचे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो वैज्ञानिकों से कहा कि आप वे लोग हैं, जो मां भारती के लिए, उसकी जय के लिए जीते हैं। आप वे लोग हैं जो मां भारती के लिए जूझते हैं।

सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान सांसें रोकने वाले पल- 
मोदी ने कहा हौसला कमजोर नहीं हुआ : प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज भले ही कुछ रुकावटें हाथ लगी हों, लेकिन इससे हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा है, बल्कि और मजबूत ही हुआ है। हर मुश्किल, हर संघर्ष, हर कठिनाई, हमें कुछ नया सिखाकर जाती है। कुछ नए आविष्कार, नई टेक्नोलॉजी के लिए प्रेरित करती है और इसी से हमारी आगे की सफलता तय होती है। हम निश्चित रूप से सफल होंगे।
इस मिशन के अगले प्रयास में भी और इसके बाद के हर प्रयास में भी कामयाबी हमारे साथ होगी। आज हमारे रास्ते में भले ही एक रुकावट आई हो, लेकिन इससे हम अपनी मंजिल के रास्ते से डिगे नहीं हैं। आज चंद्रमा को छूने की हमारी इच्छाशक्ति और दृढ़ हुई है, संकल्प और प्रबल हुआ है।
 
नाकाम नहीं हुआ मिशन : ऑर्बिटर में लगे 8 पैलोड चांद की सतह का नक्शा तैयार करेंगे और वहां खनिज व बर्फ का पता लगाएंगे। जिस ऑर्बिटर से लैंडर अलग हुआ था, वह चन्द्रमा की सतह से 119 किमी से 127 किमी की ऊंचाई पर घूम रहा है। ISRO चेयरमैन डॉ. के. सिवन ने बताया कि लैंडर विक्रम की लैंडिंग प्रक्रिया एकदम ठीक थी।
 
जब यान चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह से 2.1 किमी दूर था, तब उसका पृथ्वी से संपर्क टूट गया। हम ऑर्बिटर से मिल रहे डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं। जब तक लैंडर विक्रम निष्क्रिय घोषित न हो जाए, तब तक ISRO दोबारा संपर्क करने की कोशिश करेगा।

ऑर्बिटर 1 साल काम करेगा यानी लैंडर और रोवर की स्थिति का पता नहीं चलने पर भी मिशन जारी रहेगा। 2,379 किलो वजनी ऑर्बिटर के साथ 8 पैलोड हैं और यह 1 साल काम करेगा यानी लैंडर और रोवर की स्थिति का पता नहीं चलने पर भी मिशन जारी रहेगा। 8 पैलोड के अलग-अलग काम होंगे।

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