भारत ने चीन को भारत की प्रादेशिक अखंडता का सम्मान करने की नसीहत देते हुए बुधवार को कहा कि पाकिस्तान के सहयोग से बनाया जा रहा उसका आर्थिक गलियारा जिस क्षेत्र से गुजरता है, वह भारत का हिस्सा है। विदेश सचिव एस जयशंकर ने यहां द्वितीय रायसीना संवाद में अपने संबोधन के बाद सवालों के जवाब में चीन को दो टूक शब्दों में कहा कि उसे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के मुद्दे पर भारत की संवेदनशीलता को समझना होगा।
एक सवाल के जवाब में डॉ. जयशंकर ने कहा कि निश्चित रूप से लोग समझेंगे कि भारत की प्रतिक्रिया क्या है। यह आवश्यक है कि इसकी कुछ प्रतिक्रिया दिखे लेकिन मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि हमें ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं। यह संभवत: पहली बार है कि भारत ने चीन द्वारा ग्वादर बंदरगाह को जोड़ने के लिए बनाये जा रहे 46 अरब डॉलर के इस गलियारे को लेकर अपनी प्रतिक्रिया बहुत तीखे रूप में प्रकट की।
विदेश सचिव ने कहा कि चीन अपनी संप्रभुता से जुड़े मसलों को लेकर बहुत ज्यादा संवेदनशील है। हम अपेक्षा करते हैं कि वह भी अन्य लोगों की संप्रभुता का सम्मान करें। उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति चीन की प्रगति के लिए उसी प्रकार से हानिकारक नहीं है, जिस प्रकार से चीन की प्रगति भारत की प्रगति के लिए नहीं है।
चीन को लेकर भारत का यह रुख ऐसे समय सामने आया है जब चीन सरकार विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के कदमों में बार-बार अड़ंगे लगा रहा है, चाहे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में सदस्यता का आवेदन हो या फिर जैश-ए-मोहम्मद के मसूद अज़हर को प्रतिबंधित करने का मामला हो।
जयशंकर ने कहा कि चीन की ताकत और उसकी अभिव्यक्ति एशिया में एक गतिशील तत्व है। जापान भी एक प्रमुख तत्व है और वह अधिक जिम्मेदारियों को उठाना चाहता है। जहां तक भारत का मामला है, जो हम अपने आप को दक्षिण एशिया में स्थिरता के स्रोत और प्रगति एवं सुरक्षा के लिए प्रमुख योगदान करने वाली ताकत के रूप में देखते हैं।
अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के साथ तालमेल बिठाने की भारत की कवायद का उल्लेख करते हुए विदेश सचिव ने कहा कि दोनों देशों के संबंध लगातार बढ़ रहे हैं और व्यापक क्षेत्रों में सहयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमने भावी ट्रंप प्रशासन की टीम के साथ आरंभिक संपर्क स्थापित कर लिया है और देखा है कि हमारे हितों एवं चिंताओं को लेकर एक प्रभावी साम्यता कायम है। हमने देखा है कि अमेरिका-रूस संबंधों में सुधार भारतीय हितों के विरुद्ध नहीं हैं क्योंकि रूस के साथ भारत के संबंधों में गत दो साल में बहुत ठोस प्रगति हुई है।
उन्होंने कहा कि चीन के साथ भारत के रिश्ते समग्र रूप से व्यापक हुए हैं खासकर कारोबार और जनता के बीच संपर्क में वृद्धि कुछ राजनीतिक मुद्दों पर मतभेदों से परे रही लेकिन यह भी बहुत अहम बात है कि दोनों देश अपने संबंधों के रणनीतिक महत्व की दृष्टि कायम रखें और इस विश्वास को भी कायम रखें कि उनका अभ्युदय एक दूसरे के लिए पूरक है। (वार्ता)