Concern raised in Rajya Sabha over suicide of students : तृणमूल कांग्रेस की सदस्य मौसम नूर ने छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर बुधवार को राज्यसभा में चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से देश की प्रवेश और परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की।
नूर ने शून्यकाल के दौरान सदन में कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, आत्महत्या करने वाले कुल लोगों में से आठ प्रतिशत छात्र हैं। उन्होंने कहा कि एक साल में 30,000 से अधिक लोगों की जान चली गई।
उन्होंने कहा कि यह एक संकट है जिस पर तत्काल ध्यान देने और कार्रवाई करने की आवश्यकता है। नूर ने कहा कि आत्महत्या करने वालों में से 35 प्रतिशत लोग 18-30 वर्ष के आयु वर्ग के युवा होते हैं। उन्होंने कहा, यह स्थिति हमारी प्रवेश और परीक्षा प्रणाली की विफलता को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।
उन्होंने सदन को सूचित किया कि 18 वर्ष से कम आयु के 1,123 बच्चों ने 2022 में परीक्षा में असफल होने के कारण अपना जीवन समाप्त कर लिया जबकि 1,445 युवाओं ने बेरोजगारी के चलते अपनी जान दे दी। उन्होंने कहा कि हाल के आंकड़े दर्शाते हैं कि छात्रों को प्रतिस्पर्धा की किस मानसिक स्थिति से गुजरना पड़ता है।
नूर ने कहा, इस साल नीट यूजी के लिए 23 लाख से अधिक उम्मीदवार उपस्थित हुए लेकिन केवल 1.8 लाख एमबीबीएस सीटें उपलब्ध हैं। इसी तरह जेईई मेन्स के लिए 12.3 लाख छात्र उपस्थित हुए, जो केवल 39,767 सीटों के लिए दौड़ में थे। यह असमानता बहुत नुकसान पहुंचा रही है।
तृणमूल कांग्रेस सदस्य ने कहा कि छात्रों की कीमत गलत तरीके से परीक्षा परिणामों से जोड़ दी गई है। उन्होंने कहा कि मीडिया में अत्यधिक प्रचार, सामाजिक शर्म, अकादमिक काउंसलिंग की कमी और बेरोजगारी उन्हें इस ओर धकेल रही है। तृणमूल सदस्य ने कहा कि इस साल नीट, यूजीसी नेट, सीएसआईआर नेट और नीट पीजी की तैयारी करने वाले लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।
उन्होंने कहा, हमारे देश में शिक्षा की स्थिति एक महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है। प्रत्येक छात्र की आत्महत्या एक राष्ट्रीय त्रासदी है, जो अपने युवाओं का समर्थन करने में सरकार की विफलता को दर्शाती है। इसलिए सरकार को देश की प्रवेश और परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए तत्काल ठोस उपाय करने चाहिए।
उत्तराखंड से भारतीय जनता पार्टी के सदस्य महेंद्र भट्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तहत बाढ़, भूस्खलन और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं में हुई हानि की आवश्यक क्षतिपूर्ति में वृद्धि करने और कृषि भूमि के क्षतिग्रस्त होने पर मिलने वाले मुआवजे के मानकों में तब्दीली की मांग की।
उन्होंने कहा कि पहाड़ों में मिट्टी और पत्थर के पहाड़ी शैली के मकान होते हैं लेकिन आपदा संबंधी मुआवजे के दौरान इन्हें पक्के मकान की श्रेणी में नहीं माना जाता है लिहाजा पीड़ित परिवार मुआवजे से वंचित रह जाते हैं। उत्तराखंड में छोटी जोत के खेत होने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के बाद ऐसे खेतों को फिर से खेती योग्य बनाना संभव नहीं है।
उन्होंने कहा, मैं मांग करता हूं कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तहत आपदा प्रभावित क्षेत्र के लिए मुआवजे की धनराशि में वृद्धि की जाए, मानकों में भौगोलिक परिस्थितियों को भी ध्यान में रखा जाए और इसे संशोधित करने का अधिकार राज्य सरकारों को प्रदान किया जाए।
भाजपा के अमरपाल मौर्य ने देशभर में विधवा महिलाओं के बच्चों की संपूर्ण शिक्षा नि:शुल्क करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि कई बार पति के असामयिक निधन के कारण विधवा होने वाली महिलाओं के लिए जीवन-यापन कठिन हो जाता है और उनके बच्चों का जीवन अंधकारमय हो जाता है। उन्होंने कहा, ऐसे परिवारों के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था आवश्यक होनी चाहिए। देश में सभी प्रकार के शिक्षण संस्थानों में उनके नि:शुल्क दाखिले की व्यवस्था की जानी चाहिए।
भाजपा सांसद सीमा द्विवेदी ने दिल्ली और विभिन्न राज्यों की राजधानियों में पढ़ाई के लिए आने वाले आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के छात्रों के लिए छात्रावास और कैंटीन की सुविधा की मांग की। उन्होंने ऐसे छात्रावासों में न्यूनतम सरकारी दरों पर छात्रों को कमरे आवंटित करने पर विचार करने का भी आग्रह किया।
भाजपा सांसद मिथलेश कुमार ने गरीबी रेखा से नीचे के सभी परिवारों को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ देने की मांग की। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, भारत सरकार की एक राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा योजना है जिसका उद्देश्य देश में कम आय वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य बीमा कवरेज तक मुफ्त पहुंच प्रदान करना है।
भाजपा सांसद चुन्नीलाल गरासिया ने उदयपुर पासपोर्ट सेवा केंद्र को उन्नत करने की मांग उठाई। भाजपा के के. लक्ष्मण ने अखिल भारतीय उचित मूल्य की दुकानों के डीलरों के वित्तीय संकट पर चिंता जताई। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के संजय यादव ने खेल बुनियादी ढांचे की उपलब्धता बढ़ाने की मांग की जबकि भाजपा सांसद गुलाम अली ने हिमालयी वनवासियों के कल्याण के लिए एक योजना की मांग की। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour