Gautam Adani news in hindi : न्यूयॉर्क के पूर्वी ज़िले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा गौतम अडाणी और उनसे जुड़े अन्य लोगों पर गंभीर आरोप से भारत की राजनीति गरमा गई। कांग्रेस ने एक बार फिर अडाणी मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग की। पार्टी नेता राहुल गांधी ने सवाल किया कि इतने घोटालों के बाद भी अडाणी को अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने की गौतम अडाणी की गिरफ्तारी की मांग करते हुए सवाल किया कि वह जेल के बाहर क्यों हैं? उन्होंने कहा कि मोदी अडाणी के पीछे खड़े हैं और उन्हें बचा रहे हैं। अडाणी मोदी एक हैं तो सेफ हैं। अडाणी भाजपा को समर्थन देते हैं। राहुल ने कहा कि अडाणी घोटाले की जेपीसी जांच होना चाहिए। कांग्रेस नेता ने सेबी प्रमुख माधवी बुच की भी जांच की मांग की। ALSO READ: अमेरिकी आरोपों के बाद अडाणी का बड़ा फैसला, यूएस बॉन्ड ऑफरिंग पर रोक
कांग्रेस ने एक्स पर अपने आधिकारिक अकाउंट पर पोस्ट कर कहा कि कि अमेरिका में कॉन्ट्रैक्ट पाने के लिए अडाणी ने 2,200 करोड़ रुपए की घूस दी। जब इस मामले की जांच होने लगी तो जांच रोकने की साजिश भी रची गई। अब अमेरिका में अडानी के खिलाफ गिरफ़्तारी वारंट जारी हुआ है। अजीब बात है। कांग्रेस लगातार अडाणी और इससे जुड़े घपलों की जांच की बात कह रही है, लेकिन नरेंद्र मोदी पूरी ताकत से अडानी को बचाने में लगे हैं। वजह साफ है- अडाणी की जांच होगी तो हर कड़ी नरेंद्र मोदी से जुड़ेगी।
पार्टी नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि अब न्यूयॉर्क के पूर्वी ज़िले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा गौतम S अडानी, सागर R अडानी और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ लगाए गए गंभीर आरोप से अडानी की आपराधिक गतिविधियों के बारे में और अधिक चौंकाने वाले विवरण सामने आए हैं। इसमें कहा गया है कि उन्होंने 2020 और 2024 के बीच भारत सरकार के अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर (2,100 करोड़ रुपए) से अधिक की रिश्वत दी। रिश्वत का भुगतान भारत सरकार के सोलर पावर प्लांट्स के प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट प्राप्त करने के लिए किया गया था, जिससे टैक्स के बाद $2 बिलियन (16,800 करोड़ रुपए) से अधिक मुनाफा होने का अनुमान था। इसमें आरोप लगाया गया है कि कई मौकों पर, गौतम S अडानी ने रिश्वत की स्कीम को आगे बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत रूप से भारत सरकार के एक अधिकारी से मुलाक़ात की और इसका इलेक्ट्रॉनिक और सेलुलर फोन सबूत होने का दावा किया गया है।
न्यूयॉर्क के पूर्वी ज़िले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा गौतम अडानी और उनसे जुड़े अन्य लोगों पर गंभीर आरोप लगाना उस मांग को सही ठहराता है जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जनवरी 2023 से विभिन्न मोदानी घोटालों की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) जांच के लिए कर रही है। कांग्रेस ने हम…
उन्होंने कहा कि ये सब प्रधानमंत्री के स्पष्ट संरक्षण और कुछ नहीं होगा वाली सोच के साथ की गई धोखाधड़ी और अपराधों के एक लंबे रिकॉर्ड के अनुरूप है। तथ्य यह है कि अडानी की उचित जांच करने के लिए विदेशी अधिकार क्षेत्र का सहारा लिया गया है, इससे पता चलता है कि कैसे भारतीय संस्थानों पर भाजपा ने कब्जा कर लिया है, और कैसे लालची और सत्ता के भूखे नेताओं ने दशकों के संस्थागत विकास को बर्बाद कर दिया है।
रमेश ने कहा कि इस खुलासे के बाद SEBI की नाकामी भी एक बार फिर से सामने आती है, जो अडानी ग्रुप द्वारा प्रतिभूतियों और अन्य कानूनों के उल्लंघन की जांच कर रहा है और ग्रुप को उसके निवेश के स्रोत, शेल कंपनियों, आदि के लिए ज़िम्मेदार ठहराने में पूरी तरह से विफल रहा है। आगे का सही रास्ता यही है कि अडाणी महाघोटाले में प्रतिभूति कानून के उल्लंघनों की जांच को पूरा करने के लिए एक नए और विश्वसनीय SEBI प्रमुख को नियुक्त किया जाए, और इसकी पूरी जांच के लिए तुरंत एक JPC का गठन किया जाए।
आप सांसद संजय सिंह ने भी कहा कि अडाणी समूह ने भारत को बदनाम किया है। यह बहुत गंभीर मामला है। भारत के प्रधानमंत्री को आगे आकर इसका जवाब देना चाहिए। अडाणी के खिलाफ सभी लंबित मामलों की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक जांच एजेंसी द्वारा की जानी चाहिए और देश के अंदर और बाहर उनके द्वारा किए गए सभी भ्रष्टाचार देश के सामने आने चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद सत्र शुरू हो रहा है, हम एक बैठक करेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे।
शिवसेना यूबीटी नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि आरोप साबित हो चुके हैं और दोषसिद्धि हुई है। बेहतर होता कि हमारी जांच एजेंसियां भी रिपोर्ट आने पर स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करतीं। उद्योगपतियों को नियमों और विनियमों का पालन करने के लिए कहा जाना चाहिए, लेकिन एजेंसियां भी उनका बचाव कर रही थीं। SEBI अभी तक उनके खिलाफ आरोप साबित नहीं कर पाई है। कहा जा रहा है कि उन्होंने (गौतम अडानी ने) अनुबंध पाने के लिए सरकारी अधिकारियों पर लाखों और करोड़ों रुपए खर्च किए। यह हमारे देश की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है। एक उद्योगपति के कारण हमारी प्रतिष्ठा खोना दुर्भाग्यपूर्ण है।