पीएम शासन में निरंतरता को शायद ही कभी स्वीकार करते हैं। चीता प्रोजेक्ट के लिए 25.04.2010 को केपटाउन की मेरी यात्रा का ज़िक्र तक न होना इसका ताज़ा उदाहरण है। आज पीएम ने बेवजह का तमाशा खड़ा किया। ये राष्ट्रीय मुद्दों को दबाने और #BharatJodoYatra से ध्यान भटकाने का प्रयास है। 1/2 pic.twitter.com/V0Io8OMYyD
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 17, 2022
साहब के कैमरे से चीता तो कैद हुआ, मगर COVID 19 के दौरान जलती चिता न कैद हो पाई।
— Sadaf Jafar (@sadafjafar) September 17, 2022
तब से आजतक दिहाड़ी मजदूरों की परेशानी, छोटे कारोबारियों की तबाही ना नज़र आई, हिंसा की शिकार महिलाओं की चीत्कार नहीं सुनाई दी
नीरो हर दौर में पाया जाता है कभी फिडल बजाता रह गया था, अब फोटो खींच रहा है।