शर्मा ने कहा कि चीन ने अब एक रुख अख्तियार किया है और सरकार को इससे पार पाना चाहिए और अनुपयुक्त उत्साह पैदा नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ईमानदार नहीं रहे हैं। प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के दावों के विपरीत एनएसजी की पहले की बैठकों में भारत की सदस्यता संबंधी आवेदन एजेंडे में नहीं था। सरकार को अब इस बात पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि यह नया घटनाक्रम है, तो ऐसा नहीं है। भारत का आवेदन वहां था। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी सभी ने 2008 में हमें समर्थन दिया था। अब यह भारत की औपचारिक सदस्यता का सवाल है। (भाषा)