ममता शनिवार को यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की बैठक छोड़कर बाहर निकल आईं। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष की एकमात्र प्रतिनिधि होने के बावजूद उन्हें भाषण के दौरान बीच में ही रोक दिया गया। सरकारी सूत्रों ने उनके आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ममता को बोलने के लिए दिया गया समय समाप्त हो गया था।
कांग्रेस नेता रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 10 साल पहले स्थापित होने के बाद से नीति आयोग प्रधानमंत्री का एक अटैच्ड ऑफिस रहा है। यह नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री के लिए ढोल पीटने वाले तंत्र के रूप में काम करता है। उन्होंने दावा किया कि नीति अयोग ने किसी भी रूप में सहकारी संघवाद को मज़बूत नहीं किया है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, इसका काम करने का तरीक़ा स्पष्ट रूप से पक्षपात से भरा रहा है।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, यह पेशेवर और स्वतंत्र तो बिल्कुल भी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह अलग तरह के और असहमति से भरे सभी तरह के दृष्टिकोणों को दबा देता है, जो एक खुले लोकतंत्र के मूलतत्व हैं तथा इसकी बैठकें महज़ दिखावा मात्र होती हैं। रमेश ने कहा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के प्रति उसका व्यवहार, जो कि नीति आयोग का वास्तविक रूप है, बिल्कुल अस्वीकार्य है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour