आयात शुल्क मूल्य में कोई बदलाव नहीं करने से सीपीओ, सोयाबीन तेल में गिरावट

बुधवार, 16 जून 2021 (22:31 IST)
नई दिल्ली। भारत में सरकार की पाक्षिक बैठक में खाद्य तेलों के आयात शुल्क मूल्य में कोई बदलाव नहीं किए जाने से विदेशी बाजारों में गिरावट आई और स्थानीय तेल तिलहन बाजार में बुधवार को सोयाबीन तेल तथा सीपीओ एवं पामोलीन तेल कीमतें हानि के साथ बंद हुईं। दूसरी ओर स्थानीय के साथ-साथ निर्यात मांग होने से सोयाबीन (तिलहन), सरसों, मूंगफली, बिनौला जैसे देशी तेल की कीमतें लाभ दर्शाती बंद हुईं।

बाजार सूत्रों का कहना है कि मंगलवार देर रात की बैठक में आयात शुल्क मूल्य में कोई बदलाव नहीं किए जाने से मलेशिया एक्सचेंज में चार प्रतिशत और शिकागो एक्सचेंज में दो प्रतिशत की गिरावट आई। उन्होंने कहा कि शिकागों में आई गिरावट से सोयाबीन तेलों के भाव हानि में रहे, जबकि सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की स्थानीय के साथ-साथ निर्यात मांग अधिक होने से सोयाबीन दाना और लूज के भाव में सुधार रहा।

उन्होंने कहा कि मंडियों में सोयाबीन के बेहतर दाने की आवक कम है। सोयाबीन की अगली फसल अक्टूबर में आएगी। तेल संयंत्र वाले एनसीडीईएक्स में सोयाबीन दाने की खरीद कर रहे हैं, जहां जुलाई अनुबंध का भाव हाजिर भाव से 700 रुपए क्विन्टल नीचे और अगस्त अनुबंध का भाव 900 रुपए क्विन्टल नीचे है। इसकी बाद में हाजिर डिलीवरी ली जा सकती है।

सूत्रों ने कहा कि आगरा की सलोनी मंडी में सरसों का भाव 7,200 रुपए से बढ़ाकर 7,300 रुपए क्विन्टल कर दिया गया। पूरे देश की मंडियों में सरसों की जो आवक पहले 5-6 लाख बोरी प्रतिदिन की थी वह अब घटकर लगभग दो लाख 60 हजार बोरी रह गई है क्योंकि किसान नीचे भाव में बिक्री करने से बच रहे हैं। तेल मिलों और सरसों के कारोबारियों ने अपना स्टॉक कम कर दिया है।

उन्होंने कहा कि देश में खपत के लिए रोजाना करीब 10,000 टन सरसों तेल की आवश्यकता होती है और फिलहाल जो आवक हो रही है उससे रोजाना 6-7 हजार टन सरसों तेल की ही मांग पूरी हो पाएगी। इस बीच खाद्य नियामक,एफएसएसएआई सरसों तेल में ब्लेंडिंग पर रोक के मकसद से ब्लेंडिंग की जांच के लिए विभिन्न स्थानों पर नमूने एकत्र कर रही है। यह स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के लिए एक अच्छी खबर है।

सूत्रों ने कहा कि मंडियों में मूंगफली की आवक कम है और किसान नीचे भाव में नहीं बेच रहे हैं जिससे मूंगफली तेल तिलहन में सुधार आया। गुजरात की मांग होने से बिनौला तेल कीमत में भी सुधार आया। जबकि मलेशिया एक्सचेंज में चार प्रतिशत की गिरावट आने से सीपीओ और पामोलीन के भाव भी गिरावट के साथ बंद हुए। सरसों तेल की ब्लेंडिंग की रोक के कारण भी आयातित तेल के भाव टूटे हैं।

सूत्रों ने कहा कि तिलहन फसलों की बुवाई के समय आयात शुल्क मूल्य में कोई कमी नहीं करने का सरकार का फैसला बाजार के लिए अच्छा संकेत है, क्योंकि ऐसा करने से विदेशी कंपनियों को ही फायदा मिलता है, उल्टे सरकार को राजस्व की हानि होती है।

बाजार के जानकारों ने कहा कि दो महीने में सोयाबीन डीगम 1450 डॉलर/टन से घटकर 1240 डॉलर पर तथा सूरजमूखी 1620 डॉलर से 1300 डॉलर/टन, पाम तेल 1250 डॉलर से घटकर 980 डॉलर पर आ गया है। इस तरह आयातित खाद्य तेलों के भाव में इस दौरान 20-25 प्रतिशत की नरमी आई है।

उन्होंने कहा कि किसानों के लिए सरकार को सोयाबीन के बेहतर दाने का इंतजाम करना चाहिए ताकि सोयाबीन की अगली पैदावार पहले से कहीं ज्यादा हो तथा तिलहन किसान देश को आत्मनिर्भर बनाने की राह पर मजबूती से कदम आगे बढ़ा सकें।(भाषा) 

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