मणिपुर के 5 जिलों से कर्फ्यू हटा, गृहमंत्री की चेतावनी के बाद लूटे गए 140 हथियार सरेंडर
शुक्रवार, 2 जून 2023 (16:59 IST)
नई दिल्ली। लंबे वक्त तक हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर को राहत मिली है। गृहमंत्री अमित शाह की पूर्वोत्तर राज्य के लिए शांति कायम करने के ऐलान के ठीक बाद मणिपुर के 5 जिलों से कर्फ्यू हटा लिया गया है। जबकि कुछ इलाकों में कर्फ्यू में ढील दी गई है। पुलिस के मुताबिक गृहमंत्री की चेतावनी के बाद मणिपुर में 140 हथियारों को सरेंडर किया गया है। बता दें कि करीब एक महीने पहले जातीय हिंसा भड़कने के बाद पुलिस शस्त्रागार से 2,000 हथियार लूट लिए गए थे।
#WATCH | 144 weapons and 11 magazines across Manipur were surrendered after Union Home Minister left, says Kuldeep Singh, Manipur Security Advisor. pic.twitter.com/IggXUHe5CZ
बता दें कि अमित शाह ने मणिपुर के अपने चार दिवसीय दौरे के दौरान कई संगठनों से मुलाकात कर शांति बहाल करने की अपील की। उन्होंने गुरुवार को लूटे गए हथियारों को सरेंडर कराने को कहा था और चेतावनी दी थी कि हथियार जमा नहीं करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जिसके बाद लोगों ने हथियारों को पुलिस को सौंपा है।
पुलिस के मुताबिक पिछले 24 घंटों में मणिपुर के विभिन्न जिलों में 140 हथियार सरेंडर किए गए हैं। इन हथियारों में एके-47, इंसास राइफल्स, आंसू गैस, स्टेन गन, एक ग्रेनेड लॉन्चर और कई पिस्तौल शामिल हैं।
सर्विस पैटर्न हथियार लूटे गए थे : पुलिस के मुताबकि लूटे गए सभी हथियार सर्विस पैटर्न हथियार हैं और प्रतिबंधित हैं। गृहमंत्री ने चेतावनी दी थी कि सुरक्षा बल हथियारों की तलाश शुरू करेंगे। उन्होंने आतंकवादी समूहों से अभियानों के निलंबन या एसओओ के नियमों का पालन करने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा था, अगर नियम तोड़े जाते हैं तो कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि 3 मई से मणिपुर में शुरू हुई जातीय हिंसा में अब तक 70 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। दरअसल, मणिपुर में ये हिंसा नगा-कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हो रही है। हिंसा को रोकने और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए राज्य में सेना और असम राइफल्स के भी 10 हजार से ज्यादा जवान तैनात किए गए हैं। गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह ने न्यायिक आयोग द्वारा मणिपुर हिंसा की जांच करने का ऐलान किया था। उन्होंने मृतकों के परिजनों को केंद्र और राज्य सरकार की ओर से 10 लाख रुपए के मुआवजे की भी घोषणा की थी।
ये सारा बवाल 3 मई को उस समय शुरू हुआ, जब ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला। इसी रैली में आदिवासी और गैर- आदिवासी समुदाय के बीच विवाद और झड़प हो गई, धीरे धीरे ये विवाद हिंसा में बदल गया। बता दें कि ये रैली मैतेई समुदाय की ओर से जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में निकाली गई थी।
दरअसल, इस हिंसा के मूल में मणिपुर के एक कानून को माना जा रहा है, जिसके तहत सिर्फ आदिवासी समुदाय के लोग ही पहाड़ी इलाकों में बस सकते हैं। राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 89 फीसदी हिस्सा पहाड़ी है। जबकि आदिवासियों से ज्यादा जनसंख्या यहां पर मैतेई समुदाय की है, जिसे अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है।
मणिपुर में 16 जिले हैं। यहां की जमीन इंफाल घाटी और पहाड़ी जिलों के रूप में बंटी हुई है। इंफाल घाटी में मैतेई समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं, जबकि पहाड़ी जिलों में नगा और कुकी जनजातियों का वर्चस्व है। हालिया हिंसा पहाड़ी जिलों में ज्यादा देखी गई। यहां पर रहने वाले लोग कुकी और नगा ईसाई हैं।
Edited by navin rangiyal