साइबर अपराधियों का आसान निशाना हैं बैंक कस्टमर्स, रोज होते हैं 39 मामले...
रविवार, 23 जुलाई 2017 (12:40 IST)
नई दिल्ली। बैंकों से जुड़े साइबर अपराध के तहत पिछले तीन वित्त वर्ष में 43,204 यानी रोजाना 39 से ज्यादा मामले सामने आए हैं जिसमें अपराधियों ने 232.32 करोड़ रुपए की सेंध लगाई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2014-15 में डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग से जुड़े साइबर अपराध के 13,083 मामले आए थे, जिनमें 80.64 लाख करोड़ रुपए की राशि शामिल है। वित्त वर्ष 2015-16 में मामलों की संख्या बढ़कर 16,468 पर पहुंच गई जबकि राशि घटकर 79 करोड़ रुपए रह गई। पिछले वित्त वर्ष कुल 13,653 मामले सामने आए जिनमें 72.68 करोड़ रुपए की राशि शामिल है।
पिछले तीन वित्त वर्ष के दौरान साइबर अपराध के सबसे ज्यादा 11,055 मामले आईसीआईसीआई बैंक में सामने आए जिसमें 52.80 करोड़ रुपए की राशि शामिल है। कुल 7,144 मामलों के साथ एचडीएफसी बैंक दूसरे स्थान पर रहा। इनमें 24.53 करोड़ रुपए की राशि शामिल है। इसके बाद 6,539 मामले स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में मिले जिनकी राशि 27.28 करोड़ रुपए है।
तीन साल एक हजार मामलों से ज्यादा वाले बैंकों में कोटक महिंद्रा बैंक (4,929 मामले, 11.45 करोड़ रुपए), सिटी बैंक एन.ए. (3,790 मामले, 18.13 करोड़ रुपए), अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग कॉर्पोरेशन (3,700 मामले, 27.80 करोड़ रुपए) और एचएसबीसी (3,611 मामले, 8.69 करोड़ रुपए) शामिल हैं।
जिन बैंकों में मामले तो कम रहे लेकिन राशि 10 करोड़ से ज्यादा रही उनमें बैंक ऑफ बड़ौदा (20.12 करोड़ रुपए, 31 मामले) और एक्सिस बैंक (13.89 करोड़ रुपए 660 मामले) का नाम है।
इसके अलावा चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ऐसे 5,149 मामले सामने आ चुके हैं जिसमें साइबर अपराधियों ने 19.63 करोड़ रुपए की सेंधमारी की है। इसमें सबसे ज्यादा 1,528 मामले (2.39 करोड़ रुपए) कोटक महिंद्रा बैंक के, 1,086 मामले (2.64 करोड़ रुपए) अमेरिकन एक्सप्रेस के, 777 मामले (4.31 करोड़ रुपए) एचडीएफसी बैंक के और 515 मामले (3.16 करोड़ रुपए) आईसीआईसीआई बैंक के हैं।
साइबर अपराधियों के निशाने पर सबसे ज्यादा क्रेडिट कार्ड रहे हैं। अप्रैल 2013 से जून 2017 के बीच कुल 57,853 मामले सामने आए जिनकी कुल राशि 329.96 करोड़ रुपए है। इसमें 38,085 मामलों में क्रेडिट कार्ड धारकों को 185.39 करोड़ रुपए की चपत लगी है। एटीएम से जुड़े 19,068 मामलों में 99.61 करोड़ रुपए की राशि और इंटरनेट बैंकिंग से जुड़े 700 मामलों में 44.97 करोड़ रुपए की राशि शामिल रही है। (भाषा)