अदालत ने वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर याचिका पर कहा, आप (सरकार) इसे करें। हमारे आदेश के लिए क्यों इंतजार करना? हमने बार-बार कहा है कि ये नीतिगत मामले हैं। यह हिचकिचाहट क्यों? यदि यह महत्वपूर्ण है तो खुद से करें।
खंडपीठ ने आगे कहा, यदि आप (सरकार) मानते हैं कि उपाध्याय (याचिकाकर्ता) जो सोचते हैं, उसमें दम है तो इस पर विचार करें। हम नीतिगत मामलों में हाथ नहीं डालेंगे। हम उस दिशा में एक कदम नहीं बढ़ाना नहीं चाहते जहां हम नहीं जा सकते। हम नीति नहीं बना सकते हैं और इसकी जिम्मेदारी सरकार की है।