भारत के 11वें राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल का सोमवार 27 जुलाई को आईआईएम शिलोंग में लेक्चर देने के दौरान हृदय गति रुकने से निधन हो गया।
83 वर्ष के डॉ. कलाम भारत के एक युग पुरुष रहे और उन्होंने अपने जीवन को सादा जीवन उच्च विचार के रूप में दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। डॉ. कलाम के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण बातें हम साझा करने जा रहे हैं।
1. डॉ. कलाम जब भारत के राष्ट्रपति बनें तो उन्हें ज्ञात हुआ कि भारत के राष्ट्रपति का पूरा खर्चा तो भारत सरकार उठाती है। ऐसे में उन्होंने डॉक्टर वर्घीज कुरियन को बुलाया और कहा कि अब मैं भारत का राष्ट्रपति बन गया हूं और सरकार मेरे खर्चे को अब वहन करेगी तो अब मैं अपनी बचत व तनख्वाह का क्या करूंगा? इसके बाद डॉ. कलाम ने अपने जीवन की सारी जमा पूंजी चैरिटी में दान कर दी।
अगले पेज पर बचपन में अखबार बेचते थे कलाम...
2.रामेश्वरम जैसे छोटे से कस्बे में पैदा होने वाले डॉ. कलाम अपने सात भाई-बहनों के बीच सबसे छोटे थे। उनके पिता जैनुलआब्दीन एक बोट ओनर थे और मां आशियम्मा एक हाउसवाइस। कलाम की शुरुआती शिक्षा रामेश्वरम के प्राथमिक स्कूल में हुई।
गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले कलाम ने बेहद कम उम्र से कमाना भी शुरू कर दिया था। स्कूल खत्म होने के बाद वह पिता की मदद करने के लिए अखबार बेचते थे। हालांकि स्कूल में कलाम को ऐवरेज ग्रेड ही मिलते थे, लेकिन उनका मैथ्स की तरफ खास रुझान था।
अगले पेज पर डॉ. कलाम को यह काम लगा सबसे कठिन...
3. डॉ. कलाम ने 50 मृत्युदंड के केसों पर 'दया' दिखाते हुए सरकार के पास पुनर्विचार के लिए भेजा पर सिर्फ धनंजय चटर्जी केस की दया याचिका उन्होंने दो बार खारिज की थी। लिफ्ट ऑपरेटर धनंजय ने लड़की का रेप कर उसकी हत्या कर दी थी।
सारी उम्र अविवाहित रहने वाले कलाम ने मौत की सजा के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई थी। अपनी पुस्तक 'टर्निंग पॉइंट्स' का हवाला देते हुए कलाम ने यह भी कहा था कि राष्ट्रपति के तौर पर मेरे लिए अदालतों द्वारा दिए गए मृत्युदंड पर विचार करना सबसे मुश्किल कामों में से एक था। कलाम ने कहा था कि मेरे लिए आश्चर्यजनक था कि ज्यादातर सभी मामले जो लंबित थे उनमें सामाजिक एवं आर्थिक भेदभाव था।
अगले पेज पर जब डॉ. कलाम ने कुर्सी पर बैठने से कर दिया था इंकार...
4. एक बार एक समारोह के दौरान पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उनके लिए निर्धारित एक कुर्सी पर केवल इसलिए बैठने से इनकार कर दिया था कि उनके लिए निर्धारित की गई कुर्सी अन्य कुर्सियों से आकार में बड़ी थी।
ऐसी ही कई अन्य घटनाएं डॉ. कलाम के जीवन से जुडी हुई थीं जो उनकी सादगी और मानवीयता को दर्शाती थीं जिसके कारण वह सार्वजनिक जीवन में जनता के बीच बेहद लोकप्रिय थे।
डॉ. कलाम का पक्षियों के लिए प्रेम अगले पेज पर...
5. एक बार कलाम ने एक इमारत की दीवार की रक्षा के लिए उस पर टूटा कांच लगाने के सुझाव को यह कहते हुए नकार दिया था कि ऐसा करना पक्षियों के लिए नुकसानदेह साबित होगा।
एक अन्य दस्तावेज में बताया गया है कि जब डीआरडीओ में कलाम के एक अधीनस्थ सहयोगी काम के दबाव के कारण अपने बच्चों को प्रदर्शनी में नहीं ले जा सके थे तो कलाम खुद उनके बच्चों को लेकर गए।
अगले पेज पर डॉ. कलाम ने जब एक मोची को मेहमान के रूप में किया आमंत्रित...
6. राष्ट्रपति बनने के बाद केरल की अपनी पहली यात्रा के दौरान राजभवन में सड़क किनारे बैठने वाले एक मोची और एक छोटे से होटल के मालिक को मेहमान के तौर पर उन्होंने आमंत्रित किया था।
कलाम ने एक वैज्ञानिक के तौर पर अपना काफी समय त्रिवेंद्रम में बिताया था और केरल में उन दिनों वह उस मोची के काफी करीब थे और इसी प्रकार होटल मालिक से भी उनकी दोस्ती थी जहां वह अक्सर खाना खाने जाते थे।