उन्होंने यहां डीआरडीओ निदेशकों के सम्मेलन में कहा कि भविष्य में प्रौद्योगिकी नेतृत्व का मतलब होगा कि यह हमें प्रतिकूल परिस्थितियों में एक तकनीकी ताकत उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ के साथ वायुसेना के जुड़ाव का एक लंबा इतिहास है। 70 के दशक में हम अपने प्रतिद्वंद्वियों के पीछे थे और फिर डीआरडीओ ने कदम रखा और हमें इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली दी जिससे हमें तकनीकी बराबरी मिली।
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि सरल राडार चेतावनी प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली ने भारतीय वायुसेना के अभियानों का स्वरूप बदल दिया। उन्होंने कहा कि अब एएमसीए की बारी है और डीआरडीओ की परियोजना है। और हम इसे 5वीं पीढ़ी का कहते हैं, सिर्फ इसलिए ये मतलब नहीं है कि हम 5वीं पीढ़ी तक सीमित हैं। हो सकता है कि यह 6ठी पीढ़ी की प्रौद्योगिकी हो। हम बस इसे 5वीं पीढ़ी का कहते हैं।
उन्होंने कहा कि और डीआरडीओ को इसे साकार करना ही होगा, क्योंकि न सिर्फ आपका, बल्कि भारतीय वायुसेना का स्वाभिमान भी दांव पर लगा है।