देशसेवा का जुनून, दो सरकारी नौकरियां छोड़ पुलिस में भर्ती हुए थे शहीद DSP अमन ठाकुर
रविवार, 24 फ़रवरी 2019 (22:34 IST)
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के कुलगाम में रविवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) अमन ठाकुर को पुलिस बल में शामिल होने का जुनून इतना अधिक था कि वे दो सरकारी नौकरियां छोड़कर पुलिस में शामिल हुए थे।
ठाकुर की उम्र करीब 40 साल थी। पहली नौकरी उन्हें समाज कल्याण विभाग में मिली थी। इसके बाद वे एक सरकारी कॉलेज में लेक्चरर के पद पर नियुक्त हुए थे, जो जंतु विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री के कारण मिली थी।
पुलिस विभाग में उनके एक करीबी मित्र ने बताया कि ठाकुर हमेशा से ही पुलिस बल में शामिल होना चाहते थे और उन्हें वर्दी पहनने का जुनून था।
डोडा क्षेत्र में गोगला जिले के रहने वाले ठाकुर 2011 बैच के जम्मू कश्मीर पुलिस सेवा के अधिकारी थे। अब उनके परिवार में बुजुर्ग माता-पिता और पत्नी सरला देवी तथा 6 साल के बेटे आर्य हैं।
पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह इस युवा पुलिस अधिकारी के साथ अपनी कई मुलाकातों को याद करते हुए अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सके। सिंह ने कहा कि वे हमेशा जोश से लबरेज रहते और सामने से अपनी टीम का नेतृत्व करते।
दक्षिण कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित कुलगाम जिले में उनके कार्यकाल के दौरान ठाकुर कई तिमाही से बहादुरी का पुरस्कार जीत रहे थे।
ठाकुर के सर्वोच्च बलिदान के लिये उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए सिंह ने कहा कि दु:ख की इस घड़ी में हमारी संवेदनाएं ठाकुर के परिवार के साथ हैं। उनके मित्र उन्हें उनकी सादगी, साफगोई और पेशेवर अंदाज के लिए याद करते हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि वे अपने दृढ़ संकल्प और बहादुरी के लिए जाने जाते हैं। अपने मददगार स्वभाव और पेशेवराना रुख के कारण बेहद कम समय में ही उन्होंने इलाके के स्थानीय लोगों का प्यार, सम्मान और प्रशंसा हासिल की।
अपने उल्लेखनीय योगदान के लिए हाल में वे डीजीपी पदक एवं प्रशंसा पुरस्कार से सम्मानित किए गए थे। उनकी बहादुरी और आतंकवाद विरोधी अभियानों में उनके साहस के लिए उन्हें शेर-ए-कश्मीर वीरता पदक से सम्मानित किया गया।
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने ठाकुर की शहादत पर दु:ख प्रकट किया है। उन्होंने उनके परिजन के प्रति अपनी सहानुभूति और एकजुटता जताई।
अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में रविवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में ठाकुर के साथ सेना के एक जवान शहीद हो गए। मुठभेड़ में सेना के एक मेजर और दो सैनिक घायल हो गए हैं। इस दौरान सुरक्षा बलों ने जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकवादियों को मार गिराया।