Mahadev Betting Case में प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने गोविंद केडिया को गिरफ्तार किया है। इस दौरान 160 करोड़ की संपत्ति भी जब्त की गई। गोविंद केडिया प्रमुख स्टॉक पोर्टफोलियो ब्रोकर है। ED का दावा है कि केडिया और छापरिया मिलकर बेटिंग के जरिए मिले पैसों को भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते थे। ईडी के मुताबिक कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है जिससे यह इशारा मिलता है कि केडिया अवैध पैसों को शेयर बाजार में निवेश कर रहा था जो महादेव बेटिंग एप से जुड़े थे। केडिया एक स्टॉक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट फर्म का मालिक है और उसे कोलकाता से गिरफ्तार किया गया।
कोर्ट में पेश किया : गोविंद केडिया को शनिवार (7 दिसंबर) को रायपुर स्थित विशेष PMLA कोर्ट में पेश किया गया, जहां ED ने उसकी 14 दिन की कस्टडी की मांग की थी। हालांकि कोर्ट ने केडिया को 5 दिन की ED कस्टडी में भेजने का आदेश दिया है। ED के अनुसार केडिया महादेव बेटिंग एप के प्रमोटरों में से एक था और विकास छापरिया जो कि एक प्रमुख आरोपी है। उसके साथ केडिया का करीबी संबंध था।
क्या दावा किया ED ने: बता दें कि ED का दावा है कि केडिया और छापरिया मिलकर बेटिंग के जरिए मिले पैसों को भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते थे। ED का ये भी कहना है कि टिबरेवाल ने इलीगल बेटिंग से कमाए पैसों को शेयर ट्रेडिंग के जरिए व्हाइट मनी में बदला। इस प्रक्रिया में केडिया की महत्वपूर्ण भूमिका थी। ED का दावा है कि केडिया ने टिबरेवाल की मदद से इस मनी लॉन्ड्रिंग के नेटवर्क को मजबूत किया और अवैध धन को कानूनी रूप से सफेद किया।
160 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त : ED ने केडिया के खिलाफ 160 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की है जो उसकी डीमैट होल्डिंग्स में पाई गई। पिछले साल केडिया के परिसरों की तलाशी के दौरान ED ने 18 लाख की भारतीय करंसी 13 करोड़ के सोने और ज्वेलरी जब्त की थी। इसके अलावा जांच में ये भी पता चला कि केडिया का संबंध टेकप्रो आईटी सॉल्यूशंस लिमिटेड के मेजर शेयरहोल्डर नितिन टिबरेवाल से है। टिबरेवाल पर आरोप है कि उसने महादेव ऑनलाइन बेटिंग के लिए कंपनी का इस्तेमाल किया और अवैध पैसों को विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट के जरिए शेयर बाजार में निवेश किया। केडिया पर आरोप है कि उसने परफेक्ट प्लान इन्वेस्टमेंट एलएलपी, एक्जिम जनरल ट्रेडिंग एफजेडसीओ और टेकप्रो आईटी सॉल्यूशंस जैसी संस्थाओं के जरिए निवेश को सुविधाजनक बनाया। इसके साथ ही आरोप है कि इन अवैध पैसों के रूट को छिपाने के लिए फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट (FPI) के रास्ते का इस्तेमाल किया गया।
Edited By: Navin Rangiyal