मात्र 14 साल की उम्र में इलाज के अभाव में अपने 10 दिन के बच्चे की मौत के बाद उन्होंने डॉक्टर बनने की ठानी थी और 21 साल की उम्र में वर्ष 1886 में अमेरिका के पेनसिल्वेनिया स्थित वीमंस मेडिकल कॉलेज ऑफ पेनसिल्वेनिया (अब ड्रेक्सेल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन) से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की लेकिन अगले ही साल तपेदिक से उनकी मौत हो गई।
जब उन्होंने अपनी डिग्री पूरी की तो ब्रिटेन की तत्कालीन महारानी विक्टोरिया ने उन्हें बधाई संदेश भेजा था। पढ़ाई पूरी करने के बाद 1886 में आनंदी जोशी भारत लौट आईं। उन्हें कोल्हापुर के स्थानीय एलबर्ट एडवर्ड अस्पताल के महिला वार्ड का प्रभारी नियुक्त किया। आनंदी जोशी के पति ने, जो उम्र में उनसे कई साल बड़े थे, पत्नी की आरंभिक शिक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा उन्हें लिखना और पढ़ना सिखाया।