डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एक से 12 मार्च के दौरान एफपीआई ने शेयरों से 531 करोड़ रुपए और ऋण या बांड बाजार से 6482 करोड़ रुपए निकाले हैं। इस तरह उनकी शुद्ध निकासी 7013 करोड़ रुपए रही है। इस रुख के उलट एफपीआई ने फरवरी में भारतीय बाजारों में 23,663 करोड़ रुपए और जनवरी में 14,649 करोड़ रुपए डाले थे।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, शेयरों में प्रवाह हाल के समय में घटा है। इसकी मुख्य वजह बाजार के उच्च स्तर पर होने के बीच मुनाफावसूली है।जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, डॉलर सूचकांक 92 से ऊपर पहुंच गया है और साथ ही अमेरिका में 10 साल के बांड पर प्राप्ति बढ़ी है, जिससे धारणा प्रभावित हुई है।
यह मुनाफावसूली की मुख्य वजह है।ग्रो के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) हर्ष जैन ने कहा, बड़ी कंपनियों के शेयरों विशेष रूप से निफ्टी 50 में एफपीआई का स्वामित्व पांच साल के उच्च स्तर पर है। इससे संकेत मिलता है कि वे निकट भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था से कैसे प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे हैं।(भाषा)