दरअसल इस मामले की शुरूआत तब हुई जब दो दिन पहले कविता ने फेसबुक पेज पर फ्री सेक्स के समर्थन में एक पोस्ट की थी। इसमें उन्होंने लिखा, ‘यह अफसोस की बात है कि कुछ लोग ‘फ्री सेक्स’ (अपनी मर्जी से किसी भी व्यक्ति से शारीरिक संबंध बनाना) से डरते हैं। उन्होंने लिखा कि अनफ्री सेक्स कुछ और नहीं बल्कि रेप है।’
कवित ने अपनी पोस्ट में जेएनयू के शिक्षकों को भी निशाने पर लिया। 2015 में जेएनयू के शिक्षकों ने एक दस्तावेज तैयार किया था, जिसमें यूनिवर्सिटी के छात्रों के सेक्स और शराब से भरे जीवन के बारे में बताया गया था।
इस पर जवाब देते हुए कविता ने कहा कि हां मेरी मां ने ऐसा किया है। उम्मीद है कि आपकी मां ने भी ऐसा किया होगा क्योंकि यदि कोई महिला आजाद नहीं है, तो यह सेक्स नहीं रेप है, समझे।
उन्होंने लिखा- हाई जीएम दास! मैं कविता की मां हूं। निश्चित रूप से मैंने फ्री सेक्स किया है। जब और जैसे मैं चाहती थी, जिस आदमी के साथ चाहती थी, फ्री सेक्स किया। सहमति से सेक्स चाहने वाले हर महिला और पुरुष के लिए मैं लड़ी।