निराशा के माहौल में भारत उम्मीद की किरण बना हुआ है : जनरल मनोज पांडे

शुक्रवार, 3 नवंबर 2023 (23:18 IST)
Indian geopolitical scenario : थलसेना अध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने शुक्रवार को कहा कि पश्चिम एशिया में बढ़ते टकराव और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी भू-राजनीतिक उथल-पुथल से उत्पन्न वैश्विक परिदृश्य में भारत उम्मीद की किरण बना हुआ है।
 
चाणक्य रक्षा संवाद में, उन्होंने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा गतिरोध की पृष्ठभूमि में कहा कि भारत का दृष्टिकोण सभी देशों की संप्रभुत्ता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के साथ-साथ विवादों के शांतिपूर्ण हल और अंतरराष्ट्रीय नियमों के पालन पर जोर देता है।
 
जनरल पांडे ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि भारत दुनियाभर में नए स्थानों पर रक्षा शाखाएं स्थापित कर रहा है और सेना मित्र विदेशी साझेदार देशों के साथ संयुक्त प्रशिक्षण और अभ्यासों का दायरा व पैमाना बढ़ाना चाहती है।

उन्होंने कहा, जिस वैश्वीकृत दुनिया की हम कभी सराहना करते थे, वह अब कठिनाइयों से भरी है। यह अलगाव, खतरे को कम करने और शायद आपस में कम जुड़ी हुई दुनिया की ओर बढ़ रही है। ऐसी निराशा के बीच मेरा मानना ​​है कि भारत एक उम्मीद की किरण बना हुआ है।
 
मौजूदा भू-राजनीतिक उथल-पुथल के संदर्भ में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मामलों में राष्ट्रीय सुरक्षा की बढ़ती महत्ता और आर्थिक व सामरिक शक्ति पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया। जनरल पांडे ने कोई विशिष्ट संदर्भ दिए बगैर कहा, हमारा दृष्टिकोण सभी देशों की संप्रभुत्ता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान, सभी के लिए समानता, विवादों के शांतिपूर्ण हल, बल प्रयोग से बचने और अंतरराष्ट्रीय नियमों एवं कानूनों के पालन पर जोर देता है।
 
उन्होंने कहा कि सभी पक्षकारों के साथ सकारात्मक रूप से जुड़ने की भारत की प्रतिबद्धता विगत वर्षों में अटूट और स्थाई रही है। सेना प्रमुख ने कहा, सैन्य क्षेत्र में हम उभरती बहुपक्षीय संरचना में अपनी भूमिका को समझते हैं। हम मैत्रीपूर्ण विदेशी साझेदार देशों के साथ अपने संयुक्त प्रशिक्षण और अभ्यासों, उप-क्षेत्रीय दृष्टिकोण और उत्कृष्ट प्रक्रियाओं को साझा करने का दायरा व पैमाना बढ़ाना चाहते हैं।
 
उन्होंने कहा, हमारी रक्षा सहयोग पहुंच को बढ़ावा देने के लिए हम दुनियाभर में नए स्थानों पर रक्षा शाखाएं स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, हमारे सामने आने वाली चुनौतियां महत्वपूर्ण है लेकिन अवसर और सामूहिक चेतना तथा ताकत भी महत्वपूर्ण हैं।
 
जनरल पांडे ने वैश्विक परिदृश्य में अभूतपूर्व स्थिति को रेखांकित किया, जिसने कुछ नई प्रवृत्तियों के साथ कई घटनाक्रम को गति दी है। उन्होंने कहा, अन्य बातों के साथ ही हमें अंतरराष्ट्रीय मामलों में राष्ट्रीय सुरक्षा की बढ़ती महत्ता और आर्थिक व सामरिक शक्ति पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
 
सेना प्रमुख ने कहा, एक स्वास्थ्य संकट के रूप में शुरू हुई महामारी एक राष्ट्रीय सुरक्षा घटना के रूप में समाप्त हुई। यूक्रेन में टकराव थम भी नहीं पाया और अब हम पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, कट्टरपंथ, आतंकवाद, समुद्री लूट, अवैध प्रवासन, शरणार्थी और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे वैश्विक चिंताओं को बढ़ाते हैं।
 
उन्होंने कहा, हम अब पश्चिम एशिया में बढ़ते टकराव का सामना कर रहे हैं। ये अस्थिरताएं एवं चुनौतियां आर्थिक संकट के साथ तेजी से बढ़ रही हैं। भारत के बढ़ते कद के बारे में जनरल पांडे ने कहा कि आज विश्व मंच पर भारत एक विश्वसनीय आवाज है जो ‘ग्लोबल साउथ’ की चिंताओं को स्पष्ट करने में उल्लेखनीय और प्रभावी है। ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आतौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
 
सेना प्रमुख ने कहा, भारत अपने साझेदारों तथा समान विचारधारा वाले देशों के साथ लोकतंत्र, मानवाधिकारों और कानून के राज जैसे साझा हितों और मूल्यों को साझा करता है। साझा मूल्यों का यह गठबंधन सहकारी सुरक्षा प्रयासों के लिए ठोस आधार बनाता है। सामरिक मामलों की विशेषज्ञ लीजा कर्टिस ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन का प्रभाव बढ़ना जारी रहेगा।
 
जनरल पांडे ने अपने संबोधन में कहा, इन सामूहिक प्रयासों का लाभ केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं है बल्कि आर्थिक प्रभाव, नवोन्मेष, प्रौद्योगिकी, क्षमता निर्माण, बहुपक्षीय समस्या के समाधान और कूटनीति तक भी है। जनरल पांडे ने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी, भू-राजनीति को अभूतपूर्व रूप से आगे बढ़ा रही है, यह न केवल सामरिक प्रतिस्पर्धा को, बल्कि युद्ध लड़ने के तरीकों को भी बदल रही है। उन्होंने कहा कि न केवल शीतयुद्ध की शांति भंग हो रही है बल्कि दुनिया बिखर रही है।
 
उन्होंने कहा कि पूर्व और पश्चिम के साथ ही ग्लोबल नॉर्थ और ग्लोबल साउथ के बीच नए विभाजन सामने आ रहे हैं। जनरल पांडे ने कहा, चुस्त, लचीली और उपभोक्ता द्वारा संचालित अर्थव्यवस्था ने हमें रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण आई आर्थिक मंदी का सामना करने में सक्षम बनाया।
 
भारतीय सेना ने ‘सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज’ के साथ मिलकर ‘चाणक्य रक्षा संवाद’ का आयोजन किया। इस संवाद का उद्देश्य दक्षिण एशिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों का व्यापक विश्लेषण करने के साथ ही क्षेत्र में भारत की स्थिति को तत्पर, फिर से उठ खड़े होने वाला और प्रासंगिक पक्षकार के रूप में मजबूत कर सामूहिक सुरक्षा उपायों के लिए एक रूपरेखा तैयार करना है। (भाषा) Edited By : Chetan Gour

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