मलिक ने याद करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने चेन्नई में 2 जून को इस बारे में कहा। जब वे वापस (दिल्ली) आए तो मैं उनसे मिला और कहा कि सर, हम फैसले को मानेंगे लेकिन कृपया करके इसके बारे में सार्वजनिक रूप से न बोलें। कारगिल युद्ध के दौरान सेना का नेतृत्व करने वाले मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री वाजपेयी ने इसके पीछे की वजह जाननी चाही।
मलिक ने कहा कि मैंने कहा कि कारगिल में जो हुआ, हम अपनी तरफ से उसे ठीक करने की पूरी कोशिश करेंगे लेकिन अगर हमें पूर्ण नतीजे हासिल नहीं हो सके तो जहां तक सेना का सवाल है, हमारे पास किसी और जगह नियंत्रण रेखा को पार करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। और अगर अगर मुझे यह जरूरत लगी तो मैं वापस आकर आपसे पूछूंगा कि आपका क्या जवाब होगा?
मलिक ने याद करते हुए कहा कि वे उस वक्त साउथ ब्लॉक के गलियारों में चल रहे थे। वाजपेयी ने एक शब्द नहीं कहा, चुप रहे और सिर्फ अपना सिर हिलाया। मलिक ने कहा कि लेकिन उसी दिन शाम को बृजेश मिश्रा (वाजपेयी के प्रधान सचिव एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) ने एक चैनल को साक्षात्कार दिया।