गोरखपुर हादसे के असली गुनहगार डॉ. कफील खान

सोमवार, 14 अगस्त 2017 (12:22 IST)
गोरखपुर। बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के नोडल आफिसर डॉ. कफील खान को रविवार रात उनके पद से हटा दिया गया। कफील को पहले उनके काम के लिए हीरो बनाया गया था लेकिन अब वे जीरो हो गए हैं।

मीडिया ने उन्हें पहले बच्चों की जान बचाने के लिए गैस सिलेंडर का इंतजाम करने वाला एक अच्छा व्यक्ति बताया था लेकिन अचानक वे विलेन हो गए और अधिकारियों ने उन्हें उनके पद से हटा दिया।
 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रविवार को बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज के दौरे के कुछ घंटे बाद ही डॉ. कफील को नोडल ऑफिसर के पद से हटा दिया गया। पद से हटाए जाने के बाद मीडिया ने डॉ. कफील से संपर्क करने की बहुत कोशिश की लेकिन वे नहीं मिले। बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधिकारियों के मुताबिक वे छुट्टी पर चले गए हैं।
 
अस्पताल के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने संविदा पर डॉक्टर के पद पर यहां ज्वॉइन किया था। बाद में पूर्ववर्ती सरकार (अखिलेश यादव) के समय उनकी स्थायी नियुक्ति हुई थी। पहले की सरकार में उनका काफी रुतबा था।
 
कॉलेज सूत्रों के अनुसार मीडिया में उन्होंने ऐसी खबरें चलवाईं जिसमें उन्हें बच्चों की जान बचाने वाला बताया गया था। यह भी बताया जाता है कि डॉ. कफील एक 50 बिस्तरों वाला बच्चों का अस्पताल चलाते हैं जिसकी मालिक उनकी पत्नी और दंतरोग विशेषज्ञ डॉ. शबिस्ता खान हैं।
 
सूत्रों ने बताया कि वे मेडिकल कॉलेज की खरीद कमेटी के सदस्य भी थे और उन्हें इस बात की पूरी जानकारी थी कि मेडिकल कॉलेज को ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति करने वाली कंपनी के बिल बकाया हैं।
 
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इस दुखद घटना के कुछ देर बाद डॉ. कफील ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि पिछले कुछ दिनों से सभी डॉक्टर अपना काम पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं। कुछ लोग सोशल मीडिया पर ऐसा अभियान चला रहे हैं कि मैं मुस्लिम हूं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। मैं साफ कर देना चाहता हूं कि मैं पहले भारतीय हूं और मैं जो भी कर रहा हूं, वह एक डॉक्टर की हैसियत से कर रहा हूं। (भाषा)

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