असल में डेरे में रहने वाले नौजवानों को ये तथाकथित बाबा काली गोली बांटा करता था, वह भी सुबह के वक्त। डेरे में रहने वाले मासूम लोग इसे प्रसाद समझकर ग्रहण कर लेते थे लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उनकी जिंदगी किस नरक में जा रही है। विशेष तत्वों से तैयार की जाने वाली यह गोली डेरे में रहने वाले साधुओं को नपुंसकता की ओर धकेल रही थी।
मीडिया खबरों से पता चला है कि बाबा का ये गोरखधंधा कई सालों से चल रहा था। वह अब तक 400 से ज्यादा साधुओं को नपुंसक बना चुका है। 2012 में डेरे में साधुओं को नपुंसक बनाने का मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा और वहां पर बाकायदा 166 साधुओं की लिस्ट भी गई लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। खबरिया न्यूज चैनल एबीपी न्यूज ने जब 2014 में बाबा का साक्षात्कार लिया तो उसने इन तमाम आरोपों से इनकार किया।
एक पूर्व सेवादार ने कहा कि मैं 17 साल पहले डेरे में आया था और यहां पर मुझे सुबह के वक्त गोली खिलाई जाती थी यह कहकर कि तुम्हें आने वाले समय में भगवान के साक्षात दर्शन होंगे। उसने यह भी बताया कि बाबा पहले श्रीगंगानगर में अपने पैतृक निवास पर डेरे के साधुओं का ऑपरेशन भी करवाता रहा है। बाद में उसने डेरे में ही एक अस्पताल खोल लिया था।
किन्नर बनाने का काम करता था बाबा : डेरा सच्चा सौदा में साधुओं को नपुंसक बनाने के साथ ही किन्नर बना दिया जाता था। जिस तरह किसी जमाने में राजा अपने हरम में किन्नरों को सेवादार के रूप में रखते थे, ठीक उसी तरह डेरा का मुखिया बाबा गुरमीत राम रहीम भी अपनी अय्याशी के अड्डे पर इन किन्नरों को पहरे के लिए वहां रखता था, जहां 200 साध्वियां रहा करती थीं। (वेबदुनिया न्यूज)