गर्मी ने बढ़ाया पानी का संकट, जलाशयों के जल स्तर में भारी गिरावट

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शनिवार, 25 मई 2024 (00:16 IST)
Heat increases water crisis: देश में भीषण गर्मी के बीच 150 प्रमुख जलाशयों के भंडारण स्तर में लगातार गिरावट जारी है और यह कुल भंडारण क्षमता का 24 प्रतिशत रह गया है। पिछले वर्ष समान अवधि के दौरान के जल स्तर के मुकाबले मौजूदा जल स्तर में 21 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है।
 
केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने शुक्रवार को देश भर के 150 प्रमुख जलाशयों के ताजा भंडारण स्तर की स्थिति पर अपना साप्ताहिक बुलेटिन जारी किया, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में जल स्तर में भारी गिरावट दर्ज की गई है। ALSO READ: Bhaiyaji sarkar: 4 साल से सिर्फ नर्मदा के जल पर कैसे जिंदा है ये संत, एमपी सरकार करवा रही जांच
 
दक्षिणी क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित : दक्षिणी क्षेत्र, जिसमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं, सबसे अधिक प्रभावित है। इन राज्यों में मौजूद 42 जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता 53.334 अरब क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है। जबकि मौजूदा समय में इन जलाशयों का भंडारण स्तर गिरकर 7.455 बीसीएम रह गया है, जो कुल भंडारण क्षमता का 14 प्रतिशत है। यह पिछले साल के 25 फीसदी और सामान्य स्तर (कुल क्षमता का 20 फीसदी जल) से काफी कम है।
 
इन जलाशयों में कुल उपलब्ध भंडारण 43.293 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता का 24 प्रतिशत है। यह पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान दर्ज 55.037 बीसीएम से 21 प्रतिशत की कमी दर्शाता है और यह 45.480 बीसीएम के सामान्य भंडारण से भी कम है। इन जलाशयों का मौजूदा भंडारण पिछले वर्ष के भंडारण स्तर का 79 प्रतिशत और दस साल के औसत सामान्य भंडारण स्तर का 95 प्रतिशत दर्शाता है।
 
गुजरात और महाराष्ट्र में जल भंडारण स्तर कम : उत्तरी राज्यों हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में 10 जलाशयों की निगरानी जारी है, जिनकी कुल भंडारण क्षमता 19.663 बीसीएम है। लेकिन, वर्तमान में इन जलाशयों में केवल 5.554 बीसीएम भंडाकरण (कुल क्षमता का 28 प्रतिशत) है। इसके विपरीत पूर्वी क्षेत्र, जिसमें असम, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, नगालैंड और बिहार शामिल हैं, थोड़ा सुधार दर्शाता है। इस क्षेत्र के 23 जलाशयों की कुल क्षमता 20.430 बीसीएम है, जहां वर्तमान भंडारण 6.013 बीसीएम (कुल भंडारण क्षमता का 29 प्रतिशत) है। गुजरात और महाराष्ट्र में पिछले वर्ष की तुलना में भंडारण का स्तर कम हो रहा है। ALSO READ: उस पानी से आप हाथ नहीं धोएंगे, जिसे इस गांव के लोग पीते हैं!
 
मराठवाड़ा में भूजल स्तर नीचे आया : महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के 76 तहसीलों में से 51 तहसील में भूजल स्तर तीन मीटर से नीचे चला गया। एक आधिकारिक रिपोर्ट में कहा गया है कि नांदेड़ जिले में स्थिति कुछ बेहतर है, जहां पिछले साल अन्य 7 जिलों की तुलना में अच्छी बारिश हुई थी। महाराष्ट्र में बांधों का मौजूदा जल भंडार घटकर 23.63 प्रतिशत रह गया और जलसंकट से जूझ रहे राज्य के 25 जिलों के 2,973 गांवों व 7,671 बस्तियों में 3,692 टैंकरों के जरिये पानी पहुंचाया जा रहा है।
 
18 तहसीलों में जल स्तर नीचे आया : मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सौंपी गई आधिकारिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 18 तालुकों (तहसीलों) में भूजल स्तर एक मीटर से नीचे, 15 तालुकों में एक से दो मीटर, 14 तालुकों में दो से 3 मीटर और 4 तालुकों में तीन मीटर से अधिक नीचे चला गया है। बीड़ और लातूर जिलों में समस्या अधिक गंभीर है, जहां 10-10 तालुकों में भूजल स्तर में कमी दर्ज की गई है। छत्रपति संभाजीनगर में नौ तालुकों में भूजल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है। धाराशिव जिले के 8 तालुकों में भी यही स्थिति देखी गई है।
 
नांदेड़ में 16 में से केवल एक तालुका में भूजल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है। मराठवाड़ा में छत्रपति संभाजीनगर, जालना, बीड, लातूर, धाराशिव, नांदेड़, परभणी और नांदेड़ जिले शामिल हैं। सूखे की आशंका वाले क्षेत्र में पिछले मानसून में 589.9 मिमी बारिश हुई, जो 751 मिमी की औसत वार्षिक बारिश से 21.44 प्रतिशत कम है। अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में 1,249 गांव और 512 बस्तियां पानी की आपूर्ति के लिए टैंकरों पर निर्भर हैं। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
 

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