शाह ने 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मेटावर्स और एनएफटी के युग में अपराध तथा साइबर सुरक्षा' पर जी-20 सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवादियों द्वारा वित्तीय लेनदेन के लिए नए तरीके तथा नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे सुरक्षा तंत्र तथा डिजिटल ढांचे के लिए खतरा पैदा हो गया है।
उन्होंने कहा कि जी-20 ने अब तक आर्थिक दृष्टिकोण के लिए डिजिटल बदलाव, डेटा प्रवाह पर ध्यान केंद्रित किया लेकिन अब अपराध तथा सुरक्षा पहलुओं को समझना तथा समाधान तलाशना अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। शाह ने कहा कि ऐसी गतिविधियां राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का कारण हैं, क्योंकि ये राष्ट्रीय सुरक्षा, कानून व्यवस्था तथा अर्थव्यवस्था को सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं।
उन्होंने कहा कि अगर ऐसे अपराधों और अपराधियों को रोकना है तो हमें पारंपरिक भौगोलिक सीमाओं से ऊपर उठकर सोचना और कार्य करना होगा। केंद्रीय गृहमंत्री ने सीमा पार से सक्रिय साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कई सुझाव दिए जिनमें सभी देशों के कानूनों में एकरूपता लाना, देशों के विभिन्न कानूनों के तहत एक प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करना, सभी देशों की साइबर एजेंसियों के बीच अधिक समन्वय स्थापित करना आदि शामिल है।
उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा नीतियों के प्रति एकीकृत तथा स्थिर रुख से सूचना साझा करने में भरोसा बढ़ेगा, एजेंसी के नियम आड़े नहीं आएंगे तथा संसाधनों की कमी दूर होगी। सदस्य देशों के बीच 'वास्तविक समय में साइबर खतरे से जुड़ी खुफिया जानकारी' साझा करना इस वक्त की आवश्यकता है।
शाह ने कहा कि मनुष्यों, समुदायों और देशों को करीब लाने में प्रौद्योगिकी का अहम योगदान है, लेकिन कुछ असामाजिक तत्व और वैश्विक ताकतें भी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल नागरिकों और सरकारों को आर्थिक तथा सामाजिक नुकसान पहुंचाने के लिए कर रहे हैं।(भाषा)