भारतीय सेना को 'Free hand' देने के बाद LAC पर तनाव को खत्म करने की कवायद

मंगलवार, 23 जून 2020 (00:46 IST)
नई दिल्ली। भारत और चीनी सेना के बीच पिछले हफ्ते गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव कम करने के उद्देश्य से सोमवार को दोनों देशों की सेनाओं के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की दूसरे दौर की वार्ता हुई। देश के शीर्ष सैन्य नेतृत्व ने पूर्वी लद्दाख में स्थिति की विस्तृत समीक्षा की।
 
गलवान घाटी में पिछले हफ्ते हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। पूर्वी लद्दाख में चुशुल सेक्टर के चीनी हिस्से में स्थित मोल्दो में सुबह करीब 11:30 बजे बैठक शुरू हुई और रात तक जारी रही। इस घटनाक्रम से जुड़े लोगों ने बताया कि वार्ता में पूर्वी लद्दाख से सैनिकों के हटाने के लिए तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
 
दोनों पक्षों के बीच उसी जगह पर 6 जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहले दौर की बातचीत हुई थी, जिसके दौरान दोनों पक्षों ने गतिरोध दूर करने के लिए एक समझौते को अंतिम रूप दिया था। हालांकि, 15 जून को हुई हिंसक झड़पों के बाद सीमा पर स्थिति बिगड़ गई, क्योंकि दोनों पक्षों ने 3,500-किलोमीटर की वास्तविक सीमा के पास अधिकांश क्षेत्रों में अपनी सैन्य तैनाती को काफी तेज कर दिया।
 
मोल्दो में हुई बातचीत में भारतीय पक्ष का नेतृत्व 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर ने किया। यह बैठक गलवान घाटी में 15 जून को हुए संघर्ष के बाद दोनों पक्षों में बढ़े तनाव की पृष्ठभूमि में हुई है। यह बीते 45 सालों के दौरान सीमा पर हुआ सबसे गंभीर टकराव था।
गलवान में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की तरफ चीन द्वारा निगरानी चौकी बनाए जाने का विरोध करने पर चीनी सैनिकों ने पत्थरों, कील लगे डंडों, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर हमला किया था। 
 
हालांकि चीन ने झड़प में हताहत हुए अपने सैनिकों का आंकड़ा नहीं बताया है, लेकिन ऐसी खबरें हैं कि चीनी सेना के एक कमांडिंग अधिकारी समेत कई सैनिक झड़प में मारे गए हैं। इसके बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
 
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सेना के शीर्ष कमांडरों ने सोमवार को पूर्वी लद्दाख गतिरोध और चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की समग्र स्थिति पर विस्तृत चर्चा की।
दो दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन, सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में चीन के साथ लगती एलएसी के किनारे भारत की सुरक्षा तैयारियों की व्यापक समीक्षा की।
 
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर पूर्वी लद्दाख में स्थिति की समीक्षा की थी। इस घटना के बाद सरकार ने चीन के साथ लगने वाली 3500 किलोमीटर की सीमा पर चीन के किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सशस्त्र बलों को 'पूरी छूट' दे दी है।
 
सेना ने बीते एक हफ्ते में सीमा से लगे अग्रिम ठिकानों पर हजारों अतिरिक्त जवानों को भेजा है। वायुसेना ने भी झड़प के बाद श्रीनगर और लेह समेत अपने कई अहम ठिकानों पर सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर, मिराज 2000 लड़ाकू विमानों के साथ ही अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की तैनाती की है।
 
झड़प के बाद दोनों पक्षों के बीच तनाव कम करने के लिए कम से कम तीन बार मेजर जनरल स्तर पर बातचीत हो चुकी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ टेलीफोन पर की गई बातचीत में इस झड़प को पीएलए की 'पूर्वनियोजित' कार्रवाई बताया था।
पूर्वी लद्दाख के गलवान और कुछ अन्य इलाकों में दोनों सेनाओं के बीच 5 मई से ही गतिरोध बना हुआ है जब पैंगोंग सो के किनारे दोनों पक्ष के सैनिकों में झड़प हुई थी। पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ गई थी जब करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच पांच और छह मई को हिंसक झड़प हुई। पैंगोंग सो में हुई घटना के बाद ऐसी ही एक झड़प नौ मई को उत्तरी सिक्किम में हुई।
 
इन झड़पों से पहले दोनों पक्ष इस बात पर जोर देते रहे थे कि सीमा मामले का अंतिम समाधान होने तक सीमावर्ती क्षेत्र में शांति बनाए रखना जरूरी है।

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