Supreme Court : भारत कोई धर्मशाला नहीं, 140 करोड़ लोगों के साथ पहले से ही संघर्ष कर रहा है, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
क्या है पूरा मामला
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच एक श्रीलंकाई नागरिक की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे 2015 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) से जुड़े होने के संदेह में गिरफ्तार किया गया था, जो एक समय श्रीलंका में सक्रिय एक आतंकवादी संगठन था।
श्रीलंका के याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह एक श्रीलंकाई तमिल है, जो वीजा पर यहां आया था। उसके अपने देश में उसकी जान को खतरा है। याचिकाकर्ता बिना किसी निर्वासन प्रक्रिया के लगभग तीन वर्षों से नजरबंद है। याचिकाकर्ता को UAPA मामले और विदेशी अधिनियम मामले में दोषी ठहराया गया है। इनपुट एजेंसियां Edited by: Sudhir Sharma