एयर चीफ मार्शल ने वायुसेना दिवस 8 अक्टूबर से पहले यहां वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में यह भी कहा कि भले ही भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों के 42 स्कवैड्रनों की निर्धारित संख्या नहीं हो, लेकिन उसके पास दो मोर्चों पर एक साथ युद्ध से निपटने के लिए 'बी प्लान' है।
डोकलाम गतिरोध के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आमने-सामने की स्थिति नहीं है, लेकिन चुम्बी घाटी में उनके (चीन) सैनिक अभी भी मौजूद हैं। उम्मीद है कि भविष्य में अभ्यास समाप्त होने के बाद ये सैनिक वापस चले जाएंगे।
वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की कमी के मद्देनजर भारत के दो मोर्चों पर एक साथ निपटने की क्षमता के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मौजूदा भू-राजनैतिक स्थिति में दो मोर्चों पर युद्ध की संभावना काफी कम है। लेकिन यदि ऐसी नौबत आती है तो भले ही वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों के निर्धारित स्कवैड्रन न हों लेकिन उसके पास थल सेना और नौसेना के साथ मिलकर इस तरह की या किसी भी अन्य आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक 'प्लान बी' मौजूद है। (वार्ता)