आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इन बंदूकों में अत्यधिक खामियां थीं और थलसेना द्वारा इसे इस्तेमाल में तभी लाया जा सकता था जब इसके मैगजीन की पूरी डिजाइनिंग फिर से की जाती। सूत्रों ने बताया कि परीक्षण के दौरान राइफलों में ज्यादा चमक और आवाज देखी गई। उन्होंने कहा कि हथियारों की विश्वसनीयता के पहलू के गहन विश्लेषण की जरूरत है।
सशस्त्र बलों के लिए राइफलों की खरीद पर फैसला करने के लिए आज एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलायी जा रही है। बैठक में थलसेना की विशिष्ट जरूरतों पर चर्चा की जा सकती है। इस बैठक में रक्षा मंत्रालय के आला अधिकारियों के अलावा थलसेना, वायुसेना और नौसेना के प्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे हैं। (भाषा)