UPs Shahzadi Khan hanged in UAE: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में एक भारतीय महिला शहजादी खान को 15 फरवरी 2025 को फांसी दी गई। उत्तर प्रदेश में बांदा जिले के गांव गोयरा की रहने वाली शहजादी पर चार महीने के एक बच्चे की हत्या का आरोप था। विदेश मंत्रालय ने 3 मार्च 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट को सूचित किया कि यह सजा यूएई के कानून के तहत लागू की गई। खास बात यह है कि फांसी से पहले उनकी आखिरी ख्वाहिश भी पूरी की गई थी। लेकिन इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं- क्या भारत सरकार इस नागरिक की जान बचा सकती थी? आइए, जानते हैं इस मामले की पूरी कहानी।
क्या था शहजादी का अपराध : शहजादी खान पर यूएई के अबू धाबी में चार महीने के एक बच्चे की हत्या का आरोप लगा था। यह घटना दिसंबर 2022 में हुई, जब बच्ची की देखभाल की जिम्मेदारी शहजादी पर थी। बच्ची की मौत के बाद माता-पिता ने पोस्टमॉर्टम से इनकार कर दिया था, लेकिन बाद में एक कथित वीडियो सामने आया जिसमें शहजादी ने हत्या की बात कबूल की। उनके परिवार का दावा है कि यह कबूलनामा जबरदस्ती करवाया गया। यूएई की अदालत ने नवंबर 2024 में सुनवाई पूरी की और शहजादी को मौत की सजा सुनाई। यूएई का कानून संगीन अपराधों में सख्त सजा के लिए जाना जाता है और इस मामले में भी कोई रियायत नहीं बरती गई।
फांसी से पहले आखिरी ख्वाहिश : फांसी से पहले शहजादी की आखिरी ख्वाहिश थी कि वे अपने माता-पिता से बात कर सकें। 14 फरवरी 2025 को यूएई प्रशासन ने उन्हें यह मौका दिया। शहजादी ने अपने परिवार को फोन किया और कहा कि यह मेरा आखिरी कॉल है। उन्होंने अपनी अम्मी और अब्बू से बात करने की इच्छा जताई, जो पूरी हो गई। यूएई में सजा-ए-मौत से पहले कैदियों को उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने का अधिकार है और शहजादी के मामले में यह मानवीय कदम उठाया गया। यह एक भावनात्मक पल था, जिसने इस दुखद कहानी को और गहरा बना दिया। ALSO READ: भारत की शहजादी खान को UAE में क्यों मिली फांसी, क्या था केस, छलका पिता का दर्द
इश्क में मिला धोखा : बताया जाता है कि 2020 में शहजादी की मुलाकात सोशल मीडिया के जरिए आगरा के रहने वाले उजैर से हुई। इश्क परवान चढ़ा। उजैर भी उसे जले हुए चेहरे के साथ अपनाने को तैयार था। शहजादी ने उस पर भरोसा कर लिया। उजैर ने उसे धन कमाने का रास्ता भी बता दिया। उजैर ने शहजादी को अबू धाबी में अपनी फूफी नाजिया के घर भेज दिया था। नाजिया वहां एक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थीं। शाहजादी को जब तक असलियत समझ आती काफी देर हो चुकी थी। पढ़ी-लिखी शहजादी घर की नौकरानी बनकर रह गई। उसका पासपोर्ट नाजिया और उसके पति के पास था। कुछ समय बाद नाजिया ने एक बच्चे को जन्म दिया। बस, यहीं से शहजादी की बर्बादी की कहानी शुरू हो गई। ALSO READ: shehzadi khan : नहीं बच पाई शहजादी, UAE में 15 दिन पहले फांसी, क्या बोली केंद्र सरकार
पीएम मोदी की यूएई यात्रा और सवाल : 13 फरवरी 2025 को पीएम नरेंद्र मोदी ने यूएई का दौरा किया, जो शहजादी की फांसी से ठीक दो दिन पहले था। इस दौरान उन्होंने यूएई के नेताओं से मुलाकात की, लेकिन इस मामले पर कोई चर्चा होने का सबूत नहीं मिला। द हिंदू की पत्रकार सुहासिनी हैदर ने X पर लिखा- भारत सरकार ने कोर्ट में कहा कि शहजादी को पिछले महीने फांसी दी गई और हमें 28 फरवरी को सूचना मिली। कई लोगों का मानना है कि इस दौरे के दौरान उनकी सजा को टालने की कोशिश हो सकती थी। विदेश मंत्रालय ने सफाई दी कि यूएई के कानून के तहत सजा दी गई और दूतावास ने हर संभव मदद की।
भारत सरकार की कोशिशें और विदेश मंत्रालय का बयान : विदेश मंत्रालय ने दिल्ली हाई कोर्ट में बताया कि भारतीय दूतावास ने शहजादी को कानूनी सहायता दी और दया याचिकाएं दायर कीं। लेकिन यूएई की संप्रभुता और सख्त कानूनों के चलते सजा को रोका नहीं जा सका। मंत्रालय को फांसी की जानकारी 28 फरवरी को मिली, जो 15 फरवरी को हुई थी। इस देरी ने भी सवाल उठाए। एबीपी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय ने कहा कि हमने हर संभव कोशिश की, लेकिन सजा को टालना संभव नहीं हुआ। शहजादी का अंतिम संस्कार 5 मार्च 2025 को होगा।
परिवार का दर्द और सामाजिक प्रतिक्रिया : शहजादी के परिवार ने उनकी सजा कम करने के लिए भारत सरकार से गुहार लगाई थी। उनके पिता शब्बीर खान ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। लेकिन जब मंत्रालय ने फांसी की पुष्टि की, तो कोर्ट ने इसे 'बेहद दुर्भाग्यपूर्ण' कहकर याचिका खारिज कर दी। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने शहजादी के अपराध की निंदा की, तो कुछ ने सरकार से सवाल पूछे कि क्या और कोशिश हो सकती थी।
यूएई में सजा-ए-मौत का कानून : यूएई में हत्या जैसे गंभीर अपराधों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूएई में फांसी की सजा को लागू करने से पहले कड़ी कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाती है। पिछले कुछ सालों में वहां कई विदेशी नागरिकों को भी ऐसी सजा दी गई है। शहजादी का मामला भी इसी कानून के दायरे में आया।
शहजादी खान की फांसी एक दुखद घटना है, जो कई सबक छोड़ गई। यह हमें बताती है कि विदेश में कानून का पालन कितना जरूरी है और साथ ही यह सवाल भी उठाती है कि क्या भारत सरकार अपने नागरिकों की जान बचाने के लिए और कदम उठा सकती थी। उनकी आखिरी ख्वाहिश पूरी होना एक मानवीय पहलू को दर्शाता है, लेकिन इस कहानी का अंत दर्दनाक ही रहा। क्या आपको लगता है कि इस मामले में कुछ और किया जा सकता था?
शहजादी खान मामले की टाइमलाइन-
दिसंबर 2021 : शहजादी खान यूएई के अबू धाबी गई थीं ताकि पैसा कमाकर अपने चेहरे के जले हुए निशानों की सर्जरी करवा सके। शाहजादी वहां घरेलू सहायिका और बच्चों की देखभाल का काम करने लगीं।
अगस्त 2022 : उनके मालिक के घर एक बेटे का जन्म हुआ, जिसकी देखभाल शहजादी को सौंपी गई।
7 दिसंबर 2022 : चार महीने का शिशु टीकाकरण के बाद मर गया। माता-पिता ने पोस्टमॉर्टम से इनकार किया।
10 फरवरी 2023 : एक वीडियो सामने आने के बाद शहजादी को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया। परिवार का दावा है कि कबूलनामा जबर्दस्ती लिया गया।
31 जुलाई 2023 : अबू धाबी की अदालत ने शहजादी को मौत की सजा सुनाई।
सितंबर 2023 : उनकी अपील खारिज हो गई।
28 फरवरी 2024 : यूएई की सर्वोच्च अदालत ने मौत की सजा को बरकरार रखा।
मई और 11 जुलाई 2024 : शहजादी के पिता शब्बीर खान ने भारतीय दूतावास के जरिए दया याचिकाएं दायर कीं।
13 फरवरी 2025 : पीएम नरेंद्र मोदी ने यूएई का दौरा किया।
14 फरवरी 2025: शहजादी ने अपने परिवार को आखिरी कॉल किया और फांसी की सूचना दी।
15 फरवरी 2025 : शहजादी को अबू धाबी में फांसी दी गई।
20-21 फरवरी 2025 : शब्बीर खान ने अपनी बेटी की स्थिति जानने के लिए विदेश मंत्रालय से संपर्क किया।
28 फरवरी 2025 : यूएई ने भारतीय दूतावास को फांसी की सूचना दी।
3 मार्च 2025 : विदेश मंत्रालय ने दिल्ली हाई कोर्ट को सूचित किया।
5 मार्च 2025 : शहजादी का अंतिम संस्कार अबू धाबी में होना तय है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala