कानपुर रेंज के महानिरीक्षक जकी अहमद ने कहा कि दुर्घटनास्थल की खोजी कुत्तों की मदद से तलाशी ली गई है और शवों के मिलने की संभावना अब बहुत कम है। उन्होंने कहा कि अस्पाताल में भर्ती कुछ यात्रियों की हालत बहुत गंभीर है। पटना जाने वाली ट्रेन 19321 के पटरी से उतरे सभी 14 डिब्बों को रेल से हटा दिया गया है। वहां मौजूद कई लोग सामानों की ढेर उलट-पलट रहे थे, कि शायद उनके प्रियजनों का कुछ सुराग मिल जाए।
रामानंद तिवारी ने कहा, ‘मैं अपने भाई को खोज रहा हूं। कौन जाने उसके साथ क्या हुआ है? उसने शायद सीट बदल ली हो.. हमने सभी ओर खोज लिया है।’अपने परिवार के तीन सदस्यों का शव देखने के बाद निर्मल वर्मा को कुछ बोलने की हालत में ही नहीं हैं। वर्मा ने कहा, ‘मैं जिसे भी खोज रहा हूं, सभी मर चुके हैं। मेरा भाई, मेरी बड़ी भाभी, बेटी.. मुझे अभी तक मेरी मां नहीं मिली हैं। मुझे डर है कि वह भी इसी हालत में मिलेंगी।’
उन्होंने कहा कि उन्हें परिवार के साथ किसी की शादी में जाना था, लेकिन छुट्टी नहीं मिलने के कारण वह बाद में जाने वाले थे। कल रात तक 120 शव निकाले गए थे, बाद में मलबा हटाने पर कुछ और शव मिले हैं। कानपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी रामायण प्रसाद ने कहा कि 133 शव पोस्टमार्टम के बाद उनके परिजनों को सौंप दिए गए हैं। सभी को नि:शुल्क एम्बुलेंस मुहैया कराया गया है।
बिहार में 24 लोगों के शव भेजे गए हैं, जबकि मध्यप्रदेश में 25 और 56 शव उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में भेजे गए हैं। प्रसाद ने कहा, कानपुर और पड़ोसी कानपुर देहात जिले के अस्पतालों में भर्ती 202 यात्रियों में से अब सिर्फ 83 लोगों का ही इलाज चल रहा है। बाकियों को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में भर्ती यात्रियों में से 73 की हालत गंभीर है। (भाषा)