यह इस मिशन के सबसे मुश्किल अभियानों में से एक है, क्योंकि अगर सैटेलाइट चंद्रमा पर उच्च गति वाले वेग से पहुंचता है, तो वह उसे उछाल देगा और ऐसे में वह गहरे अंतरिक्ष में खो जाएगा, लेकिन अगर वह धीमी गति से पहुंचता है तो चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) को खींच लेगा और वह सतह पर गिर सकता है।
यान के चांद की कक्षा में प्रवेश कर जाने के बाद 2 सितंबर को यह अपने साथ ले जाए गए लैंडर विक्रम को छोड़ देगा। इसके बाद विक्रम लैंडर चांद के 2 चक्कर काटने के बाद 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा। यह सिर्फ चंद्रयान-2 के लिए ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी परीक्षा की घड़ी होगी।