अशोक गहलोत, कमलनाथ और भूपेश बघेल जो कांग्रेस के लिए बन गए जरूरी 'मजबूरी' !

विकास सिंह

गुरुवार, 27 अप्रैल 2023 (08:41 IST)
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस साल के अंत में होने वाले तीन राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव सेमीफाइनल के तौर पर देखे जा रहे है। लोकसभा चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के लिए भले ही विपक्षी दल एक साझा गठबंधन बनाने की कवायद कर रहे हो लेकिन इन तीनों ही चुनावी राज्यों में भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है। राष्ट्रीय स्तर पर जहां राहुल गांधी नरेंद्र मोदी को सीधी चुनौती दे रहे है वहीं इन तीनों राज्यों में कांग्रेस के क्षेत्रीय क्षत्रप अपने बल-बूते भाजपा को मात देने की पूरी व्यूहरचना तैयार कर रहे है।  

मध्यप्रदेश में कमलनाथ ही चेहरा-चुनावी राज्य मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। 2018 विधानसभा चुनाव में कमलनाथ के चेहरे पर चुनाव जीतने वाली कांग्रेस भले ही 15 महीनों में सत्ता से बाहर हो गई हो लेकिन इस बार कांग्रेस फिर कमलनाथ के भरोसे ही सत्ता में फिर वापसी की जद्दोजहद में जुटी हुई है। कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस में निर्विवाद रूप से सबसे शक्तिशाली चेहरा है और पार्टी उनको भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश कर रही है। कांग्रेस के पूरे चुनाव प्रचार की थीम के केंद्र में कमलनाथ ही है। चुनावी मंचों पर कमलनाथ खुद को भी भावी मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करने से नहीं पीछे हटते है।

कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में पूरी कांग्रेस एक है और पिछले दिनों अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कमलनाथ के नेतृत्व को हरी झंड़ी देते हुए उन्हें फ्री हैंड दे दिया है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह कहते हैं कि कांग्रेस के सभी नेताओं ने बैठ कर एकमत से निर्णय लिया है कि कमलनाथ ही हमारे नेता हैं और उन्हीं के नेतृत्व में ही पार्टी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेगी। 2023 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ ही कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जिन्होंने प्रदेश में कांग्रेस संगठन को मजबतू करने की कमान संभाल ली वह लगातार ही साफ कर रहे है कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव कमलनाथ के नेतृत्व में लड़ेगी और बहुमत मिलने पर कमलनाथ ही मुख्यमंत्री होंगे।

विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन से लेकर घोषणा पत्र तक बनाने का काम कमलनाथ के नेतृत्व में हो रहा है। चुनावी साल में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा की ओर से अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जहां लगातार मध्यप्रदेश का दौरा कर रहे है वही कांग्रेस केवल कमलनाथ के बूते ही कांग्रेस को चुनौती दे रही है। पिछले दिनों रीवा आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छिंदवाड़ा के बहाने से सीधे कमलनाथ का हमला बोला। वहीं भाजपा के दिग्गज नेता और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा तंज कसते हुए कहते हैं मध्यप्रदेश में कांग्रेस कमलनाथ कांग्रेस हो गई है।
 

राजस्थान में अशोक गहलोत के आगे पायलट दरकिनार!–कमलनाथ के साथ ही राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कांग्रेस के ऐसे क्षेत्रीय क्षत्रप है जिनके आगे आलाकमान सरेंडर कर चुका है। राजस्थान की राजनीति में अपना एक अलग वोट बैंक और जनाधार रखने वाले अशोक गहलोत पिछले दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर सीधे पार्टी आलाकमान को चुनौती देकर अपनी सियासी ताकत और रूतबे का अहसास करवा चुके है। अशोक गहलोत के सियासी कद का अंदाज इस बात से ही लगाया जा सकता है कि कांग्रेस में राहुल गांधी के करीबी होने का दावा करने वाले सचिन पायलट की खुली बगावत के बाद आलाकमन अशोक गहलोत से आज तक कोई स्पष्टीकरण मांगने की हिम्मत नहीं कर सका। वहीं कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट को स्टार प्रचारक की सूची से बाहर कर अब कांग्रेस आलाकमान खुलकर अशोक गहलोत के साथ नजर आ रहा है।  

दरअसल अशोक गहलोत का राजस्थान की राजनीति में अपना एक अलग वोट बैंक है। राजीव गांधी ने जब अशोक गहलोत को पहली बार राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया था तो कई वरिष्ठ नेताओं को नजरअंदाज किया गया था। तीन बार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी योजनाओं के दम पर अशोक गहलोत ने राजस्थान में अपनी एक अलग छवि बनाई है और आज उनके सियासी वजूद को देखकर यह कहा जा सकता है कि राजस्थान में कांग्रेस का मतलब अशोक गहलोत ही है।

पिछले सप्ताह राजस्थान में भाजपा के चुनावी प्रचार का शंखनाद करने पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह के निशाने पर अशोक गहलोत ही रहे। अमित शाह ने गहलोत-पायलट विवाद पर तंज कसते हुए  कहा कि सचिन पायलट जी कितना भी करो आपका नंबर नहीं आएगा। शाह ने कहा कि जमीन पर पायलट का योगदान गहलोत से ज्यादा हो सकता है लेकिन कांग्रेस के खजाने में गहलोत का कंट्रीब्यूशन ज्यादा है, इसलिए पायलट का नंबर नहीं आएगा।
 

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल कांग्रेस के ‘संकटमोचक’-2018 विधानसभा चुनाव में अपने बल बूते छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सत्ता में वापसी कराने वाले भूपेश बघेल, कमलनाथ और अशोक गहलोत के तरह कांग्रेस के एक ऐसे शक्तिशाली क्षत्रप है जिनकी गिनती आज कांग्रेस आलाकमान के सबसे भरोसेमंद और संकटमोचक नेताओं के तौर पर होती है। हिमाचल विधानसभा चुनाव में प्रभारी के तौर पर कांग्रेस को सत्ता में वापसी कराने वाले भूपेश बघेल की मेजबानी में ही रायपुर में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ है जिसमें सोनिया, राहुल और प्रियंका सहित देश के सभी बड़े कांग्रेस नेता शामिल हुए है।  

छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री के फॉर्मूले पर भूपेश बघेल को खुली चुनौती देने वाले राज्य के दिग्गज नेता टीएस सिंहदेव अब चुनावी साल में पूरी तरह सरेंडर कर चुके है। फिछले दिनों मीडिया से बातचीत में टीएस सिंहदेव ने साफ किया कि पार्टी विधानसभा चुनाव भूपेश बघेल के चेहरे पर ही लड़ेगी। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने का दर्ज कई बार टीएस सिंहदेव जाहिर कर चुके है वह अपने बयानों में पार्टी छोड़ने का संकेत भी
दे चुके थे, लेकिन अब चुनावी साल में भूपेश बघेल का नेतृत्व स्वीकार करने और उनके चेहरे पर चुनाव लड़ने के बयान से साफ है कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल कांग्रेस के एक ऐसे क्षत्रप है जिनके सामने कोई चुनौती नहीं है।  

कांग्रेस की राजनीति को कई दशकों से करीबी से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राकेश पाठक कहते हैं कि कमलनाथ, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल यह सब कांग्रेस के मज़बूत क्षेत्रीय क्षत्रप हैं जिनकी ज़मीनी राजनीति पर पकड़ है और यह नेता हमेशा गांधी परिवार के वफादार भी रहे हैं। वह राकेश पाठक कहते है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में अगर आज कांग्रेस, भाजपा से कई कदम आगे खड़ी दिखाई दे रही है तो इसका पूरा श्रेय भूपेश बघेल को जाता है। भूपेश बघेल न केवल आज छत्तीसगढ़ बल्कि कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में एक ताकतवर नेता के तौर पर स्थापित हो चुके है जिन पर कांग्रेस आलाकमान भी भरोसा करता है।

आज ऐसे समय में जब कांग्रेस का नेतृत्व गांधी परिवार के बाहर का व्यक्ति कर रहा है तब कांग्रेस के लिए खुद को दोबारा प्रासंगिक बनाने का एकमात्र रास्ता है मज़बूती से जमे अपने क्षेत्रीय नेताओं के सहारे राज्यों में अपनी सक्रियता बढ़ाना है। ऐसे में जब भाजपा मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में मोदी के चेहरे पर लड़ने की तैयारी कर रही है तब कमलनाथ, अशोक गहलोत और  भूपेश बघेल अपने दम पर मोदी के चेहरे को चुनौती देकर कांग्रेस को आगे का रास्ता भी दिखा रहे है।

कांग्रेस में क्षेत्रीय नेताओं के ताकतवर होकर उभरने को वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई कांग्रेस के लिए खतरा नहीं मजबूती मानते है। वह कहते हैं कि सोनिया गांधी की ‘इन्वेस्टमेंट इन स्टेट लीडरशिप’ पॉलिसी के आने वाले समय में बहुत ही अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे और आने वाले दिनों में यह नेता कांग्रेस के मजबूत स्तंभ के रूप मे दिखाई देंगे।

 
 

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