कपिल सिब्बल ने कहा, तीन तलाक मुस्लिमों की आस्था से जुड़ा मुद्दा

मंगलवार, 16 मई 2017 (16:18 IST)
नई दिल्ली। जाने माने वकील कपिल सिब्बल ने तीन तलाक पर उच्चतम न्यायालय में चल रही सुनवाई पर आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) का पक्ष रखते हुए कहा कि मुसलमान पिछले 1400 सौ सालों से इस प्रथा का पालन कर रहे हैं और यह आस्था से जुड़ा मामला है। इसे असंवैधानिक कैसे कहा जा सकता है? सिब्बल ने तीन तलाक मुद्दे को अयोध्या मुद्दे से भी जोड़ने का प्रयास किया। 
 
मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की पांच सदस्यीय पीठ के समक्ष आज बोर्ड कि तरफ से दलीलें रखते हुए सिब्बल ने कहा कि तीन तलाक मुस्लिम समुदाय के विश्वास से जुड़ा हुआ मसला है, समुदाय पिछले 1400 सौ सालों से इस प्रथा का पालन कर रहा है और इसे असंवैधानिक कैसे कहा जा सकता है।
 
पीठ 11 मई से तीन तलाक के मसले पर रोजाना सुनवाई कर रही है। आज सुनवाई का चौथा दिन था। कल सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से दलील रखते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि यदि शीर्ष न्यायालय तीन तलाक को अवैध करार देती है तो सरकार विवाह और तलाक के नियमन के लिए कानून बनाने को तैयार है।
 
सिब्बल ने तीन तलाक को न केवल मुस्लिमों के आस्था और विश्वास से जुड़ा मसला बताया बल्कि इसकी तुलना भगवान राम के अयोध्या में जन्म से भी की। उनका कहना था कि यदि भगवान राम के अयोध्या में जन्म लेने को लेकर हिन्दुओं की आस्था पर प्रश्न नहीं उठाया जा सकता तो तीन तलाक पर ऐसा क्यों? केंद्र सरकार के तीन तलाक को अवैध किए जाने पर नया कानून लाने के बयान पर भी सिब्बल ने सवाल उठाए। वरिष्ठ वकील ने अपनी दलीलों में यह भी कहा कि यदि निकाह और तलाक दोनों अनुबंध हैं तो दूसरों को इससे दिक्कत क्यों होनी चाहिए। उनकी दलील थी कि जब इस परंपरा का पालन 1400 वर्षों से किया जा रहा है तो अब इससे समस्या कैसी।
 
पिछले सप्ताह हुई सुनवाई के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा था कि बोर्ड की नजर तलाक एक घिनौना, लेकिन वैध रिवाज है। खुर्शीद ने कहा था कि उनकी निजी राय में तीन तलाक "पाप" है और इस्लाम किसी भी गुनाह की इजाजत नहीं देता।
 
वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व कानून मंत्री राम जेठमलानी ने भी तीन तलाक को संविधान के अनुच्छेद 14  में प्रदत्त समानता के अधिकारों का उल्लंघन बताया था। जेठमलानी ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 सभी नागरिकों को बराबरी का हक देते हैं और इनकी रोशनी में तीन तलाक असंवैधानिक है। उन्होंने दावा किया कि वह बाकी मजहबों की तरह इस्लाम के भी छात्र हैं। उन्होंने हजरत मोहम्मद को ईश्वर के महानतम पैगंबरों में से एक बताया और कहा कि उनका संदेश तारीफ के काबिल हैं। पूर्व कानून मंत्री ने कहा कि महिलाओं से सिर्फ उनके लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं हो सकता है। (वार्ता)

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