जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षा बलों पर आतंकी हमला होने, इसके बाद आतंकी गुट जैश ए मोहम्मद के बालाकोट स्थित शिविरों पर भारत की ओर से हवाई हमला किए जाने और फिर पाकिस्तान की ओर से कार्रवाई करने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बहुत बढ़ गया है। इस तनाव के बीच करतारपुर गलियारा मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों की यह पहली बैठक हो रही है।
समझा जाता है कि नई दिल्ली भारतीय श्रद्धालुओं को बिना किसी रूकावट के जाने देने का मुद्दा उठाएगी। साथ ही वह इस्लमाबाद से कहेगी कि पाकिस्तान स्थित गुरद्वारा दरबार साहिब जाने वाले सिख श्रद्धालुओं को खालिस्तान समर्थक दुष्प्रचार से अलग रखा जाए। भारतीय पक्ष में केंद्रीय गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, बीएसएफ, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और पंजाब सरकार के प्रतिनिधि शामिल हैं।
पिछले साल नवंबर में भारत और पाकिस्तान ऐतिहासिक गुरद्वारा दरबार साहिब को गुरदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक से जोड़ने के लिए करतारपुर गलियारे का निर्माण करने पर सहमत हुए थे। गुरुद्वारा दरबार साहिब में सिख पंथ के संस्थापक गुरु नानकदेव ने अपना आखिरी समय व्यतीत किया था। करतारपुर साहिब पाकिस्तान में पंजाब के नरोवाल जिले में है। रावी नदी के दूसरी ओर स्थित करतारपुर साहिब की डेरा बाबा नानक गुरद्वारे से दूरी करीब चार किमी है।
भारत के उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पिछले साल 26 नवंबर को गुरदासपुर जिले में करतारपुर गलियारे की आधारशिला रखी थी। दो दिन बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने लाहौर से 125 किमी दूर, नरोवाल में गलियारे की आधारशिला रखी।
पंजाब के मंत्रिमंडल ने डेरा बाबा नानक तथा इसके आसपास के हिस्से के सौंदर्यीकरण एवं विकास के लिए डेरा बाबा नानक विकास प्राधिकरण के गठन के लिए एक विशेष प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अंतरराष्ट्रीय सीमा के भारतीय हिस्से में एक करतारपुर द्वार स्थापित करने का भी प्रस्ताव है। यह द्वार गुरू नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व (जयंती) मनाए जाने के प्रतीक के तौर पर स्थापित किया जाएगा। प्रस्तावित यात्री टर्मिनल इमारत (पीटीबी) परिसर में, करतारपुर साहिब गुरद्वारा जाने के इच्छुक श्रद्धालुओं के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं होंगी। (भाषा)