कश्मीर में चोटी कटने का खौफ, किसी को आग में जलाया तो किसो को झील में डुबोया...

सुरेश एस डुग्गर

शनिवार, 21 अक्टूबर 2017 (15:21 IST)
श्रीनगर। कश्मीर से चोटी कटवा गैंग का खौफ थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। आशिक, मानसिक रोगी, मेहमान, सैनिक और न जाने कौन-कौन इस चक्कर में भीड़ के हाथों में पीट चुका है। एकाध मामलों में लोगों ने आतंकियों पर भी अपने हाथ साफ कर लिए। 
 
अब तो चोटी कटवा गैंग के शक में लोगों ने आतंकी कमांडरों की बुरी तरह से पिटाई कर दी है। घटना गांव ठोकरपोरा की है। बताया जा रहा है कि देर रात हिज्बुल मुजाहिदीन के दो कमांडरों को चोटी काटने वाले गिरोह का सदस्य समझकर ग्रामीणों ने पीट डाला। लोगों के गुस्से और मार से बचने के लिए आतंकियों को गोली चलानी पड़ी।
 
हैरान करने वाली बात यह है कि इन दो कमांडरों में एक हिज्बुल का सबसे मोस्ट वांटेड आतंकी रियाज नायकू था। नायकू को गंभीर चोटें आई हैं। कहा जा रहा है कि आतंकवादी गांव में अपने किसी संपर्क सूत्र से मिलने आए थे। हालांकि अधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है।
 
गौरतलब है कि कश्मीर में चोटी काटने की घटनाओं का खौफ बढ़ता जा रहा है। लोगों के गुस्से का शिकार मासूम लोगों को भी होना पड़ रहा है। शुक्रवार को गुस्साई भीड़ ने एक मानसिक रोगी को चोटी काटने वाला समझकर जलाने की भी कोशिश की। पुलिस लोगों से इस मामले में संयम बरतने की अपील कर रही है।
 
हालांकि अधिकारी कहते हैं कि कश्मीर की फिजा में एक बार फिर जहर घोलने की कोशिश की जा रही है। सोपोर में चोटी काटने के आरोप में जलती चिता में जिंदा इंसान को फेंका गया। श्रीनगर की डल झील में युवक को डुबाकर मारने की कोशिश की गई। जब इतने से भी मन नहीं भरा तो उस पर कोड़े बरसाए गए।
 
तीसरा मामला घाटी में कर्फ्यू का है, जिसे अलगाववादियों के बंद के एलान के बाद लगाया गया है। घाटी में चोटी कटने की अफवाह लगातार बढ़ रही है और अफवाह की इस आग में अलगाववादी नेता घी डालने का काम कर रहे हैं।
 
सईद अली शाह गिलानी, मीरवायज़ उमर फारूक और यासिन मलिक जैसे नेताओं ने चोटी कटने की घटनाओं को राजनीतिक रूप दे दिया है और लोगों का भरोसा फिर से पाने के लिए घाटी में शनिवार को बंद का एलान किया था।
 
इससे पहले भी एक बार कश्मीर बंद हो चुका है। घाटी में पिछले चार दिनों के भीतर चोटी कटने की घटनाओं की कई अफवाहें सामने आई हैं और इन्हीं अफवाहों को भुनाने के लिए अलगाववादियों ने लोगों को नए सिरे भड़काना शुरू कर दिया है।
 
पुलिस के अनुसार, उसने करीब 115 मामलों में एफआईआर दर्ज की है, जबकि गैर सरकारी तौर पर 150 से अधिक घटनाएं चोटी काटने की हो चुकी हैं। पुलिस के लिए दिक्कत यह है कि कोई भी पुलिस की मदद को सामने नहीं आ रहा है जबकि पुलिए ने गिरोह के किसी भी सदस्य की गिरफ्तारी पर 6 लाख का इनाम रखा है।
 
कश्मीर बंद रहा : चोटी काटने की घटनाओं के खिलाफ अलगाववादी नेताओं सईद अली शाह गिलानी, मीरवायज उमर फारूक और मुहम्मद यासीन मलिक के संयुक्त नेतृत्व में बुलाई गई हड़ताल के कारण स्कूलों, दुकानों और अन्य व्यापारिक संस्थानों को बंद रखा गया था। प्रतिबंध के आदेशों से सरकारी कार्यालयों और शिक्षा संस्थानों में उपस्थिति प्रभावित हुई है।
 
अधिकारियों ने बताया कि सड़कों पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट नजर नहीं आया लेकिन कुछ निजी वाहनों को शहर के सिविल लाइंस एरिया में देखा गया था। श्रीनगर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने बताया की धारा 144 शहर कई हिस्सों में जारी रहेगी, ये हिस्से हैं- नौहट्टा, खनयार, रैनावारी, एम आर गूंज, सफकदल तथा क्रालखुड। इस दौरान हड़ताल और प्रतिबंधों की वजह से समूची घाटी में आम जनजीवन अस्त व्यस्त रहा। हिंसा की आशंका के मद्देनजर रेल सेवाएं भी बाधित रहीं। दक्षिण कश्मीर के कुलगाम, पुलवामा और पम्पोर में भी कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध थे।

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